गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल , बॉयोपिक फ़िल्म पर बॉलीवुड का तड़का
– ए॰ एम॰ कुणाल
वायु सेना की आपत्ति के बावजूद फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट गुंजन सक्सेना पर बनी बॉयोपिक फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हो गई है। धर्मा प्रोडक्शन की फ़िल्म “गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल” के लिए जान्हवी कपूर के अभिनय को काफ़ी सराहा जा रहा है।
फ़िल्म में जिस तरह भारतीय वायुसेना की छवि को दिखाया गया है, उस पर आपत्ति जताई जा रही है। भारतीय वायुसेना का कहना है कि कुछ सीन को लेकर काफ़ी पहले आपत्ति दर्ज करायी गई थी पर उस सीन को कट किये बिना फ़िल्म रिलीज कर देने से ग़लत मैसेज जा रहा है।
उधमपुर बेस में गुंजन सक्सेना को सिंगल फीमेल पायलट के रूप में दिखाया गया है। जबकि रियल लाइफ़ में उनकी बैचमेट श्री विद्या भी साथ थी। शायद फ़िल्म के निर्देशक शरण शर्मा अपनी फ़िल्म के किरदार को ज़्यादा तवज्जो देने के चक्कर में एक बॉयोपिक से बॉलीवुड फ़िल्म बनाने पर ज़्यादा ज़ोर दिया है। एक बॉयोपिक फ़िल्म को लेकर बॉलीवुड का इस तरह का रवैया अक्सर देखा गया है। अमूमन फ़िल्मों पर अपनी कैंची चलाने वाला सेंसर बोर्ड इस मामले में मूक दर्शक बना हुआ है। क्योंकि ओटीटी प्लेटफॉर्म सेंसर बोर्ड के अधीन नहीं है।
फ़िल्म की कहानी गुंजन सक्सेना (जान्हवी कपूर) और गुंजन के पिता ( पंकज त्रिपाठी) की है। गुंजन का परिवार आर्मी बैकग्राउंड से है। गुंजन बचपन से पायलट बनाना चाहती है। पर गुंजन की माँ कीर्ति सक्सेना (आयशा रजा) और भाई अंशुमन सक्सेना (अंगद बेदी) उसके फ़ैसले से ख़ुश नहीं होते है। पिता के सपोर्ट और मेहनत के बल पर गुंजन वायुसेना के पहली महिला बैच के लिए सलेक्ट हो जाती है। पर उसका संघर्ष ख़त्म नहीं होता। उधमपुर बेस में ट्रेनिंग के दौरान पुरुष पायलट अधिकरियों से गुंजन को संघर्ष करना पड़ता है।
फ्लाइट कमांडर दिलीप कुमार (विनीत कुमार) गुंजन को पसंद नहीं करता है। ट्रेनिंग के दौरान तंग करता है।बाद में कमांडिंग ऑफिसर गौतम सिन्हा (मानव विज) उसकी मदद को आगे आते है। गौतम सिन्हा की मदद से गुंजन बेस्ट पाइलट बन जाती है। जो दूसरे लोगों को नागवार गुजरता है। एक दिन तंग आकर गुंजन वापस अपने घर चली जाती है। कुछ दिन बाद कारगिल युद्ध शुरू हो जाता है। गुंजन को कारगिल युद्ध के लिए वापस बुला लिया जाता है। वहाँ उसकी मुलाक़ात अपने भाई से होती है, जो एक आर्मी ऑफ़िसर है। गुंजन का भाई उसे वापस चले जाने के लिए हर संभव कोशिश करता है पर वह नहीं मानती है। कारगिल में एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान वह फ्लाइट कमांडर दिलीप कुमार की जान बचाती है, जो उसे नापसंद किया करता था।
जान्हवी कपूर के अलावा गुंजन के पिता का किरदार में पंकज त्रिपाठी और भाई के रोल में अंगद बेदी की प्रभावशाली भूमिका है।उनके अलावा विनीत कुमार, मानव विज और आयशा रजा का अच्छा काम है।
शरण शर्मा का निर्देशन अच्छा है। फिल्म को मसालेदार बनाने की कोशिश के बावजूद सबजेक्ट से भटके नहीं है। गुंजन के संघर्ष को दिखाने की कोशिश में वायुसेना के महिला विरोधी सोच को ज़्यादा तवज्जो दिया गया है। फिल्म के ज्यादातर हिस्सों में पुरुष पायलट अधिकरियों से गुंजन सक्सेना को अपनी पहचान के लिए संघर्ष करते दिखाया गया है।
फिल्म “गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल” में कारगिल युद्ध में गुंजन के शौर्य से ज़्यादा उसके पायलट बनने के संघर्ष को दिखाया गया है। फिल्म पुरुष प्रधान समाज की धारणा को चुनौती देती है। उस सोच को बदलने में गुंजन सक्सेना की अहम भूमिका है। अगले साल तक महिला सैनिकों के पहले बैच को कमीशन प्रदान किए जाने की संभावना है, जो गुंजन सक्सेना जैसी महिलाओं की जीत है।
फिल्म : गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल
निर्देशक: शरण शर्मा
कलाकार: जाह्नवी कपूर, पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी, विनीत कुमार, मानव विज और आयशा रजा।
पटकथा: निखिल मलहोत्रा और शरन कुमार
निर्माता: करण जौहर, हीरू जौहर, अपूर्वा मेहता।
ओटीटी- नेटफ्लिक्स