चुनाव की तैयारी:जनता का मूड बदलने को गुजरात में भाजपा ने सरकार का चेहरा बदला
अब रुठे कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने में जुटे नेता
वोटर की नाराजगी और एंटी इनकमबेंसी के बचने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने भले ही गुजरात सरकार चेहरा बदल दिया हो, लेकिन अभी भी उसकी चिंता कम नहीं हुई। वोटर के बाद अब भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की भी रणनीति तैयार कर ली है। भाजपा के शीर्ष अधिकारी प्रदेश के विभिन्न जिला एवं शहर इकाई में जाकर कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोल रहे हैं, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में एक बार भी सत्ता हासिल की जा सके।
भाजपा ने आगामी चुनाव से पहले अपने निष्क्रिय एवं नाराज कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने की रणनीति तैयार की है। साथ ही अधूरे विकास कार्य जल्दी से जल्दी पूरे किए जाएंगे। मिशन विधानसभा चुनाव के तहत भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री एवं जम्मू-कश्मीर, लद्दाख एवं तेलंगाना प्रभारी तरूण चुघ एवं प्रदेश भाजपा के तीन महामंत्री सूरत यात्रा पर आए और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति तैयार की। राष्ट्रीय मंत्री ने प्रदेश महामंत्री (संगठन) रत्नाकर, महामंत्री प्रदीप वाघेला और दक्षिण गुजरात के प्रभारी एवं प्रदेश मंत्री प्रदीपसिंह के साथ दो दिन तक सूरत के पार्टी जनप्रतिनिधियों और पार्टी पदाधिकारियों की अलग-अलग बैठकें लीं।
सूत्रों के मुताबिक विभिन्न बैठकों मे विधानसभा चुनाव को लेकर सुझाव लिए गए। साथ ही राज्य सरकार के कामकाज और संगठन कार्यों का फीडबैक भी लिया गया। बैठक में महानगर पालिका चुनाव में आप के प्रदर्शन को लेकर भी फीडबैक लिया गया और विस चुनाव में आप को रोकने के लिए रुठों को मनाने और संगठन को और मजबूत करने की रणनीति बनाई गई। पार्टी के र्शीष अधिकारियों ने पार्टी के अग्रिम संगठनों युवा मोर्चा, महिला मोर्चा, किसान मोर्चा आदि की अलग-अलग बैठक ली और उन्हें भी विधानसभा चुनाव के लिए टॉस्क दिया।
वहीं, प्रदेश संगठन महामंत्री ने सभी पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से कहा कि अगर किसी कारणवश कोई कार्यकर्ता निष्क्रिय या नाराज है तो वे उससे व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात करें और उसकी नाराजगी दूर करें। भाजपा के सभी पुराने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को सक्रिय किया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कार्यकर्ता का काम हो और उसे पूरा सम्मान मिले।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में विधायकों और पार्षदों को निर्देश दिए है कि वे जनता के बीच ज्यादा समय बिताए और अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक कार्यालय जरूर खोलें, ताकि समस्या-शिकायत दर्ज करा सके। साथ ही विधायक व पार्षद अपने-अपने क्षेत्र के अधूरे कार्यों की एक सूची तैयार कर करें और प्राथमिकता के आधार पर काम कराएं।