कोविड-19 प्रबंधन हेतु गठित टीम-11 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिशा-निर्देश
यह सुखद है कि बीते 24 घंटे में प्रदेश में 14 हजार से भी अधिक मरीज कोविड संक्रमण से ठीक होकर अस्पतालों से डिस्चार्ज हुए हैं। प्रदेशवासी धैर्य और संयम बनाये रखें। उच्चस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं हों अथवा जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता, किसी भी चीज का अभाव नहीं है। कोविड के लक्षण दिखें तो टेस्ट कराएं, चिकित्सकों के निर्देशों का पालन करें।
– वर्तमान परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन लगाने का कोई विचार नहीं है। हमें लोगों के जीवन और जीविका दोनों की ही चिंता है। परिस्थितियों का आंकलन करते हुए सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है। कोरोना कर्फ्यू और साप्ताहिक बंदी जैसे प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए। मास्क, सैनिटाइजर और दो गज दूरी जैसे कोविड विहेवियर को पूरी ईमानदारी के साथ अमल में लाया जाए। लापरवाह लोगों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाए।
– अस्पतालों में खाली बेड्स के बारे में हर दिन जानकारी सार्वजनिक की जाए। इससे मरीजों के परिजनों को काफी सहूलियत होगी। इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की भूमिका इस कार्य मे अत्यंत उपयोगी है। इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
– प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। मांग के अनुरूप ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है। भारत सरकार से आवंटित ऑक्सीजन को यथाशीघ्र प्रदेश में उपलब्ध कराया जाए। ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन बना रहे इस हेतु सभी अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन का ऑडिट कराया जाना चाहिए। ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ त्वरित और कठोरतम कार्रवाई की जाए। अति गंभीर परिस्थिति को छोड़कर किसी भी इंडिविजुअल व्यक्ति को ऑक्सीजन की आपूर्ति न की जाए। केवल संस्थागत आपूर्ति ही होगी।
– सभी ऑक्सीजन रीफिल केंद्रों पर जिम्मेदार अधिकारियों की तैनाती की जाए। यह सुनिश्चित करें कि ऑक्सीजन का वितरण पारदर्शी ढंग से हो। ऑक्सीजन टैंकर को जीपीएस से जोड़ा जाए तथा प्लांट्स पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया जाए। स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, औद्योगिक विकास, एमएसएमई तथा गृह विभाग आपसी समन्वय से इस कार्य को करें। टैंकर/सिलिंडर का कोई अभाव नहीं है। प्रत्येक अस्पताल में न्यूनतम 36 घंटे का ऑक्सीजन बैकअप होना चाहिए।
– रेमडेसिविर इंजेक्शन और फैबीफ्लू जैसी जीवनरक्षक मानी जा रही दवाओं की निर्बाध आपूर्ति के लिए आवश्यक है कि इसकी लगातार माॅनिटरिंग की जाए। ऐसी दवाओं व इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की जाए। रेमेडेसीवीर उत्पादनकर्ता कंपनियों से लगातार संपर्क में रहें। कल तक प्रदेश को 10,000 बॉयल और प्राप्त हो जाएंगे। प्रतिदिन 50,000 बॉयल रेमेडेसीवीर की आपूर्ति के हिसाब से डिमांड भेजी जाए।
– कोविड से लड़ाई में जीत के लिए ‘टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट’ का मंत्र सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही स्वीकार नहीं है। सभी निजी एवं सरकारी कोविड टेस्टिंग प्रयोगशालाएं अपनी पूरी क्षमता के साथ टेस्टिंग कार्य करें। किसी भी प्रयोगशाला को टेस्ट करने पर कोई रोक नहीं है। जांच के लिए शुल्क की दर पूर्व में ही तय की जा चुकी है। आरआरटी की संख्या बढ़ाई जाए। क्वालिटी कंट्रोल को प्रत्येक दशा में सुनिश्चित की जाए। टेस्टिंग की वर्तमान क्षमता को दोगुनी किये जाने के ठोस प्रयास हों।
– कोविड-19 के प्रसार को देखते हुए सभी जनपदों में कोविड बेड की संख्या दो गुनी करने के लिए पूरी तत्परता से कार्यवाही की जाए। स्वास्थ्य विभाग कोविड अस्पतालों में आईसीयू तथा आइसोलेशन बेड के जनपदवार डाटा तैयार कर लें, जिससे कोरोना मरीजों को त्वरित उपचार पूरी सहजता से उपलब्ध हो सके। सभी जिलों में न्यूनतम 200-200 अतिरिक्त बेड बढ़ाये जाने के प्रयास हों।
– लखनऊ के केजीएमयू तथा बलरामपुर चिकित्सालय पूरी क्षमता के साथ डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के तौर पर संचालित किया जाए। इस कार्य को शीर्ष प्राथमिकता दें। एरा, टीएस मिश्रा, इंटीग्रल, हिन्द, प्रसाद, सक्सेना तथा मेयो मेडिकल काॅलेज आदि डेडिकेटेड कोविड हाॅस्पिटल के रूप में क्रियाशील हैं। यहां बेड की बढ़ोतरी की जाए। इन सभी अस्पतालों के लिए अलग-अलग नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। इन अस्पतालों में संसाधनों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता पर पूरा किया जाए।
– लखनऊ व प्रयागराज में मरीजों की संख्या को देखते हुए अतिरिक्त प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। प्रयागराज में स्वरूप रानी व युनाइटेड मेडिकल काॅलेज, कॅरियर सहित अन्य सभी चिकित्सकीय संस्थानों में बेड की संख्या बढ़ाने के ठोस प्रयास किए जाएं। नॉन कोविड हॉस्पिटल के सुचारु क्रियान्वयन पर भी ध्यान दिया जाए।
– दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आ रहे प्रवासी कामगार/श्रमिकों की टेस्टिंग करते हुए उन्हें आवश्यकतानुसार क्वारन्टीन एवं चिकित्सा की समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराई जाए। लक्षणविहीन लोगों को न्यूनतम एक सप्ताह और लक्षणयुक्त लोगों को 02 सप्ताह के लिए अनिवार्य रूप से क्वारन्टीन किया जाए। इनकी व्यवस्थित मॉनिटरिंग हो। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को बढ़ाया जाना चाहिए।
– राज्य मंत्रिपरिषद ने 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के निःशुल्क कोविड टीकाकरण कराए जाने का निर्णय लिया है। कोविड से लड़ाई में यह सबसे अहम प्रयास होगा। स्वास्थ्य विभाग इस दिशा में आवश्यक तैयारी प्रारंभ कर दे।
– स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग का कार्य युद्ध स्तर पर किया जाए। इसके लिए फायर विभाग के वाहनों का उपयोग किया जाए। वर्तमान में प्रदेश में 77 हजार से अधिक कंटेनमेंट जोन बनाये गए हैं। कंटेनमेंट ज़ोन के प्राविधानों को सख्ती से लागू किया जाए। मास्क के अनिवार्य उपयोग के संबंध में प्रवर्तन की प्रभावी कार्यवाही की जाए। निगरानी समितियों से संवाद बनाकर उनसे फीडबैक लगातार प्राप्त किया जाए।
– अस्पतालों एवं ऑक्सीजन उत्पादन व रीफिलिंग से जुड़ी इकाइयों में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित हो। औद्योगिक इकाइयों में कोविड प्रोटोकाॅल का पालन कराते हुए गतिविधियां संचालित की जाएं।
– बेहतर कोविड प्रबंधन में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की महत्वपूर्ण भूमिका है। लखनऊ सहित सभी जनपदों में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर का प्रभावी संचालन सुनिश्चित हो। आईसीसीसी के माध्यम से बेड आवंटन की जानकारी, समय पर एम्बुलेंस की उपलब्धता आदि व्यवस्थाएं सुनिश्चित कराई जाएं।
– शुक्रवार रात 08 बजे से सोमवार प्रातः 07 बजे तक की प्रदेशव्यापी ‘साप्ताहिक बंदी’ को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू रात्रि 08 से सुबह 07 बजे तक प्रभावी रहे। इस दौरान आवश्यक सेवाओं और औद्योगिक इकाइयों को छोड़कर शेष गतिविधियां प्रतिबन्धित रहेंगी। कोविड संक्रमण की रोकथाम में यह महत्वपूर्ण प्रयास होगा।
– ‘108’ एम्बुलेंस सेवा की 50 प्रतिशत एम्बुलेंस का उपयोग कोविड मरीजों के लिए किया जाए। एम्बुलेंस के रिस्पाॅन्स टाइम को कम किया जाए।