कहा जाता है कि मानसून के मौसम में कई बीमारियां घेर लेती हैं। डायरिया, बुखार, सर्दी-खांसी, फूड प्वाइजनिंग जैसी बीमारियां आम हो गई हैं।
कहा जाता है कि मानसून के मौसम में कई बीमारियां घेर लेती हैं। डायरिया, बुखार, सर्दी-खांसी, फूड प्वाइजनिंग जैसी बीमारियां आम हो गई हैं।
कहा जाता है कि मानसून के मौसम में कई बीमारियां घेर लेती हैं। डायरिया, बुखार, सर्दी-खांसी, फूड प्वाइजनिंग जैसी बीमारियां आम हो गई हैं। इस मौसम में खान-पान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। सब्जियां खाने-पीने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियां भी पैदा करती हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि मानसून में हरी सब्जियां खाने में सावधानी बरतनी चाहिए। डॉक्टर के अनुसार मौसम में बदलाव के कारण हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। फिर कई बार हम बिना सोचे-समझे ऐसी चीजें खा लेते हैं जिनका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।
सब्जियों को पकाने से पहले अच्छी तरह धो लें
हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी और अन्य सब्जियां पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। यह विटामिन और खनिजों में समृद्ध है। ये सब्जियां अत्यधिक आर्द्र क्षेत्रों में उगती हैं। इसलिए उन पर कई तरह के बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, कीड़े आदि होते हैं।
कुछ कीड़े इतने सूक्ष्म होते हैं कि उन्हें नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है। इनके रंग के कीट हरे पत्तों के कारण छिपे होते हैं। खाना पकाने से पहले ठीक से साफ न करने पर ये शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। बरसात के मौसम में इससे बचना ही बेहतर है।
पालक में छिपे बैक्टीरिया,
चिकित्सक डॉ. रविकांत चतुर्वेदी का कहना है कि मानसून के दिनों में पालक नहीं खाना चाहिए। यह फूड प्वाइजनिंग का सबसे बड़ा कारण है। इसमें ई कोलाई बैक्टीरिया छिपे होते हैं। पालक को कई बार धोने के बाद भी वह दूर नहीं होता है।
तो अक्सर पालक के साथ अन्य खरपतवार भी आ जाते हैं, जिनके बैक्टीरिया छिपे होते हैं। एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि हरी सब्जियों को बार-बार धोने से उनके पोषक तत्व भी खत्म हो जाते हैं। इसलिए खाने का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में बीमार होने का भी खतरा रहता है।
बरसात के मौसम में फूलगोभी, ब्रोकली खाने से बचें
किसी भी मौसम में बारिश हो या सर्दी, बाजार में फूलगोभी, फूलगोभी या ब्रोकली जैसी सब्जियां आसानी से मिल जाती हैं। इसमें घातक कीड़े छिपे होते हैं। वे जमीन के करीब बढ़ते हैं, इसलिए बारिश के मौसम में बैक्टीरिया के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।