अब दिल्ली की तरह हो गया जम्मू कश्मीर, मोदी ने खत्म किया अलग संविधान
जम्मू-कश्मीर को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है | गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर को लेकर सरकार का संकल्प पत्र पेश किया | शाह ने कहा कि कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधान हटा दिए गए हैं | अब इसके सभी खंड लागू नहीं होंगे | शाह ने राज्यसभा में कश्मीर के पुनर्गठन का प्रस्ताव भी पेश किया है | मोदी सरकार ने अब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया | साथ ही लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग किया गया है | जम्मू-कश्मीर के 2 हिस्सों में बांट दिया है | गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश होगा जहां विधानसभा के चुनाव होंगे | दूसरा लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश प्रदेश होगा एलजी के हाथ में कमान होगी | यानी जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला और लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह विधानसभा विहीन केंद्रशासित प्रदेश होगा |
मोदी सरकार के फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर को दूसरे राज्यों से मिले ज्यादा अधिकार खत्म ही नहीं बल्कि कम भी हो गए हैं | जम्मू-कश्मीर की हालत अब दिल्ली जैसे राज्य की तरह हो गई है | अब जम्मू-कश्मीर में चुनाव होंगे और सरकारें भी होंगी, लेकिन उपराज्यपाल का दखल काफी बढ़ जाएगा | दिल्ली की तरह जिस प्रकार सरकार को सारी मंजूरी उपराज्यपाल से लेनी होती है, उसी प्रकार अब जम्मू-कश्मीर में भी होगा |
मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा | जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा | जम्मू-कश्मीर ने 17 नवंबर 1956 को अपना संविधान पारित किया था, वह पूरी तरह से खत्म हो गई है | कश्मीर को अभी तक जो विशेषाधिकार मिले थे, उसके तहत इमरजेंसी नहीं लगाई जा सकती है | लेकिन अब सरकार के फैसले के बाद वहां इमरजेंसी लगाई जा सकती है | अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का था | लेकिन देश की तरह यहां भी पांच साल विधानसभा का कार्यकाल होगा | इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थायी नागरिकों को था | किसी दूसरे राज्य के लोग यहां वोट नहीं दे सकते और न चुनाव में उम्मीदवार बन सकते थे | अब सरकार के फैसले के बाद भारत के नागरिक वहां के वोटर और प्रत्याशी बन सकते हैं |