राज्यपाल कलराज मिश्र नें खाई पाटने को लेकर कही बड़ी बात
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि आदिवासी और गैर आदिवासी के बीच पनपी भेद की खाई को मिलकर पाटने की जरूरत है। मिश्र आज यहां राजभवन में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा आयोजित ‘वागड़ अंचल का लोक साहित्य एवं संस्कृति’ विषय पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं विश्वविद्यालय परिसर के छह भवनों के शिलान्यास समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज की अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान है, जिसे सहेजा जाना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए आदिवासी समाज को उनकी भाषा, संस्कृति, परम्पराओं और विशिष्टताओं को बचाए रखते हुए विकास की मुख्य धारा में जोड़ना होगा।
मिश्र ने कहा कि वागड़ अंचल का जनजाति क्षेत्र औषधीय, वनस्पति और जैविक संपदा के लिए देशभर में अपनी पहचान रखता है। यहां की प्रकृति पूजा और औषधि विज्ञान की जनजातीय समाज की मौखिक रूप में संरक्षित परम्पराओं को सहजने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा पाठ्यक्रम लागू करने की पहल सराहनीय है।
कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. सी. पी. जोशी ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित बोलियां ना सिर्फ सदियों से संचार का माध्यम रही हैं बल्कि स्थानीय ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति और लोक परम्पराओं की वाहक भी हैं। उन्होंने कहा कि इस रूप में वागड़ अंचल की वाचिक परम्परा को सहेजने की यह पहल यहां की लोक संस्कृति को अक्षुण्ण रखने की दिशा में दूरगामी साबित होगी। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों का अनुभवजन्य प्राकृतिक ज्ञान उनकी अनूठी विरासत है।