झारखंड से लेकर महाराष्ट्र तक इतने पेड़ काट रही है सरकार कि सांस रुक जाएगी!
बीते दिनों भारत में अमेज़न जंगल में आग जैसा ही कुछ माहौल चल रहा है। देश के कई राज्यों में पूरे के पूरे जंगल काटने के आदेश दिए जा रहे हैं। वहीँ दूसरी तरफ भारत सरकार देश में नए पेड़ लगाने के लिए एक बड़ी राशि देने की घोषणा की है। ऐसे में जंगल उजाड़े जाने से जहाँ लोग बेहद गुस्से में हैं, वहीँ कई लोग भारत सरकार के वृक्षारोपण के लिए पैसे देने की घोषणा से खुश भी हैं।
बीते शुक्रवार केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने देश के राज्यों को वनीकरण परियोजनाओं के लिए 47,436 करोड़ रुपये का सीएएमपीए फंड जारी किया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ये राशि सभी राज्य वन और वृक्षों का आवरण बढ़ाने हेतु प्रदान की है। राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वृक्षारोपण पर ख़ासा ध्यान दिया जाएगा। पर्यावरण मंत्री ने कहा की जिन महत्वपूर्ण गतिविधियों पर इस धन का उपयोग किया जाएगा उनमें क्षतिपूरक वनीकरण, सहायता प्राप्त प्राकृतिक सम्पोषण, जलग्रहण क्षेत्र का उपचार, वन्यजीव प्रबंधन, वनों में लगने वाली आग की रोकथाम, वन में मृदा एवं आद्रता संरक्षण कार्य, वन्य जीव पर्यावास में सुधार तथा सीएएमपीए कार्यों की निगरानी आदि शामिल हैं। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बात पर भी स्पष्ट रूप से कहा कि सीएएमपीए कोष का उपयोग वेतन के भुगतान, चिकित्सा व्यय, यात्रा भत्ते आदि के लिए नहीं किया जा सकता है। हालांकि वनीकरण के लिए दी राशि से राज्य का बजट अप्रभावित रहेगा तथा हस्तांतरित की जा रही धनराशि राज्य के बजट के अतिरिक्त होगी।
‘बाघ-विहीन’ रिज़र्व के लिए एक बड़ा नुकसान
वहीँ दूसरी तरफ देश के कई राज्यों में लाखो की संख्या में पेड़ों की कटाई के निर्देश दिए जा रहे हैं। झारखण्ड के पलामू टाइगर रिजर्व में जल संसाधन विभाग ने उत्तर कोयल परियोजना(मंगल बाँध) के लिए 3.44 लाख से अधिक पेड़ों को काटने का काम शुरू करने की योजना बनाई है। वन्यजीव विशेषज्ञों ने इसे ‘बाघ-विहीन’ रिज़र्व के लिए एक बड़ा नुकसान बताया है। मंगल बांध परियोजना के चलते रिजर्व में 3,44,644 पेड़ों पर तलवार लटक रही है। हालांकि जल संसाधन विभाग ने इस कटाई के लिए अनुमति मिलने और इसके लिए वन विभाग को 461 करोड़ रुपये जमा करने का दावा किया है। डालटनगंज के जल संसाधन विभाग के मुख्य इंजीनियर मुकेश कुमार ने कहा, ‘हमने वन विभाग से कई काम शुरू करने के लिए वन विभाग से एनओसी मांगी है।’ गौरतलब है कि केंद्रीय एजेंसी WAPCOS प्राइवेट लिमिटेड पेड़ की कटाई के काम को अंजाम देगी।
दक्षिण-दिल्ली में 20,000 से ज़्यादा पेड़ों की कटाई
वहीँ राज्य के पूर्व मुख्य वन्यजीव वार्डन प्रदीप कुमार ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई से रिजर्व का पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि “राज्य की सड़क और रेलवे नेटवर्क के विस्तार के कारण रिजर्व को पहले से ही काफी नुकसान हुआ है। अब, पेड़ों की कटाई जैव विविधता को और नुकसान पहुंचाएगी।” बता दें कि अगस्त 2017 में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंडल डैम के पुनरुद्धार के लिए 1,000 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन को मंजूरी दी थी, जिसमें बाघ अभ्यारण्य के बफर क्षेत्र में पेड़ों की कटाई शामिल है। 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बना ये बाघ-रिज़र्व भारत के सबसे पुराने अभ्यारण्यों में से एक है। लेकिन 29 जुलाई 2019 को अखिल भारतीय बाघ अनुमान द्वारा जारी आखिरी रिपोर्ट के अनुसार इस टाइगर-रिज़र्व में एक भी बाघ दर्ज नहीं किया गया था। आपको बता दें पिछले साल सरकारी बंगलों के निर्माण के लिए भी सरकार ने दक्षिण-दिल्ली में 20,000 से ज़्यादा पेड़ों की कटाई के आदेश दिए थे। उस समय दिल्लीवासियों ने भी इसका कड़ा विरोध किया था।
विरोध-प्रदर्शन में महाराष्ट्र के लोगों ने बनाई मानव श्रृंखला
वहीँ महाराष्ट्र में मुंबई की आरे कॉलोनी में भी पेड़ कटाई का आदेश दिया गया है। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के वृक्ष विभाग ने गुरुवार को उपनगरीय गोरेगांव से सटे आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड के लिए 2,700 से अधिक पेड़ों को काटने के लिए हामी भर दी है। इसका विरोध करते हुए बीते रविवार सुबह महाराष्ट्र के लोगों ने आरे जंगल में 5-किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई गई थी। इस विरोध-प्रदर्शन में पूरे महाराष्ट्र के लोगों के साथ बॉलीवुड तक सामने आ रहा है। बॉलीवुड के जाने माने सितारे रितेश देशमुख, श्रद्धा कपूर, रवीना टंडन, ईशा गुप्ता, रणदीप हुड्डा और विशाल ददलानी, दीया मिर्ज़ा समेत कई हस्तियां वहां लोगों के समर्थन में मानव श्रृंखला का हिस्सा बनने पहुंची। वहीँ इन पेड़ों को कटाई से बचाने के लिए पर्यावरणविदों ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है। बुधवार को जहां आरे से जुड़े दो मामलों की बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई तो वहीं हज़ारों कार्यकर्ताओं ने अपनी शिकायतों और सुझावों को गार्डन कमिटी के पास सौंपा था। सुनवाई के दौरान भी पेड़ों की कटाई चल रही है जिसके विरोध में लोग हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। आपको बता दें कि आरे कॉलोनी के आरे जंगल को शहर के प्रमुख हरे फेफड़ों के रूप में जाना जाता है। मुंबई शहर जहाँ पहले से ही दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है, ऐसे में इस तरह जंगल की कटाई से वहां के पर्यावरण पर गहरा असर पड़ेगा। लेकिन इसपर वृक्ष विभाग और मुंबई सरकार, दोनों की आँखें बंद ही हैं।