भारत सरकार का अनुमान, देश में सालाना 1 लाख ड्रोन पायलटों की हर वर्ष आवश्यकता
गुरुग्राम। कृषि-ड्रोन निर्माता कंपनी आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन ने आज बताया कि उसने कृषि डोन का बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र स्थित महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी (कृषि विश्वविद्यालय) के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत न केवल कृषि ड्रोन के उपयोग को प्रोत्साहन दिया जाएगा बल्कि कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी प्रयास किया जाएगा।
इस समझौते पत्र पर विश्वविद्यालय की ओर से डीन (एफ/ए) और निर्देश निदेशक डॉ. पी एन रसाल और आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन की ओर से उसके सह-संस्थापक और निदेशक श्री अनूप कुमार उपाध्याय ने हस्ताक्षर किए।
इस साझेदारी के माध्यम से आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन और महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ का उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक साथ मिलकर काम करना और कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देना है।
समझौते के बारे में बताते हुए श्री अनूप कुमार उपाध्याय ने कहा कि उनकी कंपनी और विश्वविद्यालय दोनों एक साथ आधुनिक और सस्टेनेबल स्मार्ट एग्रीकल्चरल सिस्टम बनाने के लिए संयुक्त शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं पर भी काम करेगा। उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष ड्रोन का उपयोग कर फसल छिड़काव के लिए स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेस (एसओपी) का भी विकास करेंगे।
श्री उपाध्याय ने कहा कि देश में ड्रोन पायलटों की कमी को भरने के उद्देश्य से आयोटेकवर्ल्ड महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ के साथ मिलकर विश्वविद्यालय में रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (आरपीटीओ) की स्थापना करेगी।
सरकार का अनुमान है की भारत को अगले साल तक कम से कम 1 लाख ड्रोन पायलटों की आवश्यकता होगी।
कृषि विश्वविद्यालय के साथ समझौते पर अपने विस्तृत विचार को साझा करते हुए आयोटेकवर्ल्ड के निदेशक श्री अनूप कुमार उपाध्याय और श्री दीपक भारद्वाज ने कहा, “महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ जैसी संस्था के साथ समझौता से हमें कृषि क्षेत्र में ड्रोन के साथ रिसर्च एक्टिविटीज को भी बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इसके अलावा हम एक साथ मिलकर भारतीय कृषि की बेहतरी के लिए ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए भी काम करने जा रहे हैं।”
श्री दीपक भारद्वाज ने कहा कि कृषि में ड्रोन के उपयोग से किसानों के जीवन में बदलाव आएगा क्योंकि ये हवाई रोबोट कृषि उत्पादन को और अधिक बढ़ा सकते हैं। “कृषि में ड्रोन का उपयोग किसानों के लिए बहुत मददगार है क्योंकि ये हवाई रोबोट उनके खर्च और समय बचाने में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ के साथ समझौता करने का उद्देश्य एक स्मार्ट एग्रीकल्चरल सिस्टम विकसित करना है। आयोटेकवर्ल्ड और विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से शैक्षिक और आर एंड डी प्रोजेक्ट पर काम करेंगे।
उन्होंने कहा कि ड्रोन की उपयोग से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि उर्वरकों, कीटनाशकों एवं पानी की भी बचत होती है, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलती है। एक किसान उर्वरकों के प्रयोग और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग करके काफी बचत कर सकता है।
यहां यह बताना आवश्यक है कि केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने कृषि क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को सस्ता बनाने के लिए कई दिशा—निर्देश जारी किए हैं।
सरकार ने एग्रीकल्चरल, फॉरेस्ट्री और नॉन-क्रॉप्ड एरिया में फसल सुरक्षा के लिए कीटनाशकों का उपयोग ड्रोन एप्लिकेशन के द्वारा और मिट्टी में फसल पोषक तत्वों के छिड़काव में ड्रोन के प्रयोग के लिए स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेस भी जारी किया है। साथ ही, सरकार एग्रीकल्चर इंफास्ट्रक्चर फंड के तहत किसानों व युवाओं को ड्रोन खरीदने के लिए सस्ते दर पर ऋण भी उपलब्ध करा रही है।