गोरखपुर…अस्ताचलगामी सूर्य को व्रती महिलाओं ने दिया अर्घ्य, परिवार और देश-दुनिया के खुशहाली की कामना की
गोरखपुरः सूर्योपासना के चार दिवसीय छठ पर्व पर शुक्रवार की शाम पूर्वांचल के घाट रोशनी से नहा उठे. 36 घंटे के व्रत के दौरान निर्जला व्रती महिलाएं घाटों पर पहुंचीं. सभी ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. मंगलगीतों से घाट भक्ति के रंग में डूबे रहे. महिलाओं ने परिवार के साथ सूर्योपासना के पर्व पर पुत्र रत्न की प्राप्ति के साथ पुत्र की दीर्घायु और परिवार की सुख, समृद्धि और शांति की कामना की. इस दौरान गोरखपुर के सांसद रविकिशन ने दीप प्रज्जवलित कर देश और दुनिया के खुशहाली की कामना की.
वैश्विक महामारी में भी छठ मईया के व्रत रहने वाली महिलाओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई है. गोरखपुर के सूर्यकुंड पर हजारों की संख्या में व्रती महिलाएं परिवार के साथ पहुंची. हाथों में गन्ना, सिर पर डाला ऊपर से पीला वस्त्र लिए परिवार के पुरुष, युवा और बच्चे इसमें आगे रहे. उसके पीछे महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में सोलह श्रृंगार किए चलती रही. इस दौरान छठ मईया के गीत वातावरण में गूंजते रहे. व्रती महिला संगीता श्रीवास्तव ने बताया कि छठी मईया के व्रत और पूजा की बहुत मान्यता है. यही वजह है कि छठ मईया का लोग व्रत रखते हैं. सफाई का विशेष महत्व है. चार दिन का कठिन व्रत होता है. संतान और परिवार के लिए व्रत रहा जाता है. मन्नत जो भी मांगता है, वो छठी मईया पूरी करती हैं.
सूर्यकुंड धाम पर पहुंचने के बाद व्रती महिलाएं अपने परिवार के साथ उस स्थल पर पहुंचीं, जहां छठ की वेदी पहले से तैयार रही है. सूर्यकुंड में शुद्ध जल का स्वयं और परिवार के सदस्यों के ऊपर छिड़काव करने के बाद महिलाओं ने लोटे में जल भरा फिर छठ माता की वेदी को मान्यतानुसार सजाया-संवारा. वहां पर दीपक जलाया और डाला में रखी पूजन सामग्री को गाड़े गए गन्ने के समीप रखा और विधिवत पूजन शुरू किया. इसके बाद फिर अर्घ्य दिया. किरण ने बताया कि वे 8 साल से व्रत रह रही हैं. मां की महिमा के बारे में सभी को पता है. परिवार और संतान की सुख की कामना के साथ इस व्रत को रहा जाता है.
व्रती महिला रितु कश्यप ने बताया कि बहुत ही श्रद्धा वाला ये व्रत है. जिनती भी मनोकामना होती है उसे छठ मईया पूरी कर देती है. अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य आज दिया जा रहा है. कल सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. बच्चों और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए ये व्रत रहा जाता है. उनकी कृपा से ही आज हम यहां आए हैं. उन्होंने कहा कि मां की महिमा के आगे सभी नतमस्तक हो जाते हैं. मां सारे देश और दुनिया को कष्ट से दूर करें और सुख-समृद्धि दें.
सूर्यकुंड धाम जीर्णोद्धार समिति के सचिव शीतल गुप्ता ने बताया कि बरसों से यहां पर महिलाएं छठ का व्रत करने के लिए आती हैं. उन्होंने कहा कि वैश्िवक महामारी के कारण कोविड-19 के नियमों का पालन किया जा रहा है. सोश्ाल डिस्टेसिंग का पालन कराया गया है. उन्होंने बताया कि हर साल की अपेक्षा इस साल भीड़ कम हुई है. सूर्यकुंड धाम जीर्णोद्धार समिति के संयोजक अमरदीप गुप्ता ने बताया कि हजारों की संख्या में यहां पर हर साल महिलाएं आती हैं. उन्होंने बताया कि इस बार कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया गया है. जिन लोगों के पास मास्क नहीं था उन्हें मास्क भी उपलब्ध कराया गया है.
गोरखपुर के राप्ती नदी, राजघाट, शंकरघाट, तकिया, डोमिनगढ़, रामगढ़ताल, दाउदपुर मंदिर पोखरा, महेसरा ताल, विष्णु मंदिर असुरन, खैरया पोखरा, शाहपुर में सूर्य को अर्घ्य अर्पण किया. साथ ही गिरधरगंज, भैरोपुर पोखरा, खोराबार पोखरा, तरकुलहा देवी मंदिर पोखरा, गोररा नाला, तूरानाला, महेसरा घाट सहित कई मुहल्लों में अस्थायी बनाए गए तालाब पर जाकर महिलाओं ने छठ का विधिवत पूजन किया.