गोरखपुर: कोरोना से जंग के बीच जब महिला थाना बन गया रसोईघर, थानेदार और सिपाही बनीं खानसामा
गोरखपुरः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर के महिला थाने का ये नजारा देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे. पहली दफा तो आपको लगेगा कि किसी मैरिज हाल में शादी-विवाह जैसे किसी फंक्शन की तैयारी चल रही है. स्वादिष्ट व्यंजन भी उसी आयोजन के लिए तैयार किया जा रहा है. आप एकबारगी खाना तैयार करने वालों को भी धोखे में हलुआई समझने की भूल मत करिएगा. क्योंकि ये महिला थाने में तैनात वो कोरोना फाइटर्स है, जो कोरोना से जंग के बीच जरूरतमंदों के लिए अपनी जेब से रुपए खर्च कर लंच पैकेट तैयार कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें जरूरतमंदों तक पहुंचा भी रहे हैं.
ये वो कोरोना फाइटर्स हैं, जिन्हें सैल्यूट करने लिए हाथ उठ जाएं, तो आश्चर्य की बात नहीं है. जो लोग आमतौर पर महिलाओं को हेय दृष्टि से देखते हैं, उनके लिए ये नजारा और भी सीख देने वाला है. क्योंकि कोरोना से जंग में घर की जिम्मेदारियों के बीच ड्यूटी करने वाली महिला थाने की इंस्पेक्टर अर्चना सिंह और सिपाही अपनी जेब से रुपए खर्च कर हर रोज खाना सैकड़ों लोगों का खाना तैयार करने के साथ उसे पैक कर जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं. इस दौरान वे उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ भी पढ़ा रही हैं. महिला थाने में तैनात इंस्पेक्टर अर्चना सिंह और सिपाही लंच की तैयारी लगा रहे हैं.
ये महिला थाने में होने वाले आयोजन का दृश्य नहीं है. यहां पर रोज ये नजारा आप देख सकते हैं. क्योंकि 21 दिन के लॉक डाउन के बाद 3 मई तक हुए लॉकडाउन के दौरान महिला थाने में तैनात इंस्पेक्टर अर्चना सिंह और महिला सिपाही आपको इसी रूप में नजर आने वाले हैं. कोई सब्जी बना रहा है. तो कोई आटा गूथ रहा है. वहीं कोई चावल बनाते हुए आपको दिखाई दे जाएगा. वहीं कोई महिला सिपाही लंच पैकेट को पैक करते हुए दिखेगी. ये बस इंतजाम महिला थाने में तैनात इंस्पेक्टर और सिपाही अपनी जेब से रुपए खर्च कर रहे हैं. वे हर रोज सैकड़ों लोगों के लिए लंच पैकेट तैयार कर रहे हैं.
कोरोना से जंग में आम से लेकर खास हर कोई जरूरतमंदों की मदद में जुटा है. पीएम मोदी के आह्वान पर लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है. ऐसे में सड़क पर रहने वाले और घरों से दूर दूसरे शहर में फंसे लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं. लेकिन, हर कोई उनकी मदद में जुटा है. ऐसे में कोरोना फाइटर्स के रूप में पूरा महिला थाना ही जरूरतमंदों की सेवा में लगा है. वे अपनी जेब से रुपए खर्च कर राशन इकट्ठा कर रहे हैं और खुद खाना बनाकर उसे जरूरतमंदों तक पहुंचा भी रहे हैं. इसके साथ ही वे जंगल मेंं बंदरोंं को भी भोजन उपलब्ध करा रही हैंं. यही वजह है कि उनका ये काम दूसरों के लिए भी नजीर बन गया है.