गोरखपुर घर का सैलून, दादा ने पोते के, तो बेटे ने पिता के और पिता ने पुत्र के काटे बाल
वैसे तो बाल कटाए बिना भी लम्बे समय तक आराम से रहा जा सकता है । लेकिन जिन्हें हर 10-12 दिन पर बाल कटाने की आदत है लॉकडाउन में उन्होंने घर पर ही इसका तरीका खोज निकाला है। किसी ने सेविंग किट, किसी ने कपड़ा काटने वाली कैंची तो किसी ने जवान होते बेटे की मूंछ-दाढ़ी सेट करने वाली मशीन का सहारा लिया है। लॉकडाउन के दौरान इन हथियारों से घर की चहारदीवारी के अंदर एक नए हुनर में हाथ आजमाने की जंग लड़ी जा रही है। इसमें कामयाब होने वाले भी खुश हैं और गड़बड़ा जाने वाले भी खुशी-खुशी वाट्सएप, फेसबुक पर फोटो शेयर कर दोस्तों-शुभचिंतकों को मुस्कुराने का मौका दे रहे हैं।
दूसरा इस समय लाख डाउन में किसी से भी वाले की दुकान नहीं खुली है और जो चोरी चुपके काटने को तैयार हो रहे हैं तो उनकी फीस भी अत्याधिक है । उसके बावजूद वह नाउ ना तो क्वालिटी दे पा रहे है और ना ही जो सर्विस दे रहे हैं वह भी बहुत निम्न स्तर का है तो मजबूरन जहां चाह वहां राह के तर्ज पर यह कार्य शुरू किया गया
वैसे भी दिन भर मुख्यमंत्री के अधिकतर विद्यालयों के संरक्षक के रूप में भी जरूरत पड़ने पर डॉक्टर प्रदीप राव जाते रहते हैं और अपना पीजी कॉलेज भी पूरा समय देते रहते हैं
महाराणा प्रताप पोस्ट ग्रेजुएट लाला कॉलेज के डॉक्टर प्रदीप राव ने बताया कि आवश्यकताएं ही, अविष्कार की जननी है’ की युक्ति को चरितार्थ करते हुए बीते सोमवार को महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ के प्राचार्य डा.प्रदीप राव ने भी बेटे नीलांक को अपने बालों पर प्रयोग करने की इजाजत दे दी। नीलांक ने अहाते में कुर्सी लगाई, डा.राव गले तक अंगोछा ओढ़कर बिल्कुल वैसे ही बैठे जैसे किसी सैलून में बैठे हों। फिर नीलांक ने ‘ट्रिमर’ (मूंछ-दाढ़ी सेट करने की मशीन) से उनके बाल काट डाले। डा.राव ने कुछ मित्रों को फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘जीवन का सबसे अच्छा आनंद।’
कुशीनगर में तैनात शिक्षक दुर्गाशंकर सिंह के लिए भी यह एक अच्छा अनुभव रहा। उनके पिता इंद्रपाल सिंह एसबीआई के सेवानिवृत सीनियर मैनेजर हैं। पोते के बाल बढ़ गए थे। लॉकडाउन में बाहर जा नहीं सकते हैं। सो, उन्होंने बेटे से कहा,’घर पर ही काट दो, गड़बड़ भी हो गए तो कौन सा बाहर जाना है।’ दुर्गाशंकर सिंह अभी सोच ही रहे थे कि दादा जी ने पोते रुद्र को बिठाया, सेविंग किट की कैंची निकाली और बाल काट डाले। इसके बाद दुर्गाशंकर सिंह ने भी अपने पिता के बढ़े बालों को काट-छांट कर ठीक किया। इसी बीच टेलीविजन पर ‘रामायण’ शुरू हो गया तो वह खुद रह गए लेकिन तय हुआ कि अगले रविवार को वो भी अपने पिताजी से बाल कटवा लेंगे।