सदियों पुराना है गोरखपुर का झारखंडी महादेव शिव मंदिर, लकड़हारे की टांगी से टकरा गया था पत्थर, निकल पड़ी थी रक्त की धार

गोरखपुर के झारखंडी कालोनी में झारखण्डी महादेव का शिव मंदिर सदियों पुराना है. मान्यता है कि बरसों पहले जब ये इलाका वनाच्छादित

 

गोरखपुर: गोरखपुर के झारखंडी कालोनी में झारखण्डी महादेव का शिव मंदिर सदियों पुराना है. मान्यता है कि बरसों पहले जब ये इलाका वनाच्छादित का तो एक लकड़हारा पेड़ काटने के लिए आया. पेड़ के जड़ की खुदाई करते समय उसकी टांगी एक पत्थर से टकरा गई. टांगी के पत्थर से टकराते ही रक्त की धार निकल पड़ी. लकड़हारा घबराकर गांव में गया और लोगों को इसके बारे में जानकारी दी. वनाच्छादित क्षेत्र में जब गांव के लोग पहुंचे तो उस स्थान पर दूध चढ़ाया गया. बड़े बुजुर्गों से सुनी विद्यार्थियों को सुनने वाले लोग बताते हैं कि दूध डालते हैं शिवलिंग ऊपर आता गया. वनाच्छादित होने के कारण इस मंदिर का नाम झारखंडी महादेव पड़ गया.

गोरखपुर के झारखंडी कॉलोनी में स्थित झारखंडी महादेव के मंदिर पर सावन के महीने में श्रद्धालुओं और भक्त जनों की भारी भीड़ होती है. मलमास के माह में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है. बताया जाता है कि यह मंदिर 600 वर्ष पुराना है. मान्यता है कि झारखंडी महादेव के दरबार में श्रद्धालु जो भी मुरादे मांगते हैं वह पूरी हो जाती है. सावन के माह में विशेष तौर पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए उमड़ पड़ती है. भोर से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए लंबी कतार लगाकर बाबा भोलेनाथ के जयकारे लगाते हैं.

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