गूगल पिन विवाद! हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी नागरिक के पक्ष में सुनाया फैसला
आजकल आम जीवन में तकनीक का दखल बढ़ता जा रहा है। तकनीक की मदद से जांच एजेंसियों के लिए यह पता लगाना बेहद आसान हो गया है कि आरोपी अपराध के समय कहां था।
आजकल आम जीवन में तकनीक का दखल बढ़ता जा रहा है। तकनीक की मदद से जांच एजेंसियों के लिए यह पता लगाना बेहद आसान हो गया है कि आरोपी अपराध के समय कहां था। अपराधियों की फोन लोकेशन से आसानी से पता चल जाता है कि आरोपी अपराध के समय कहां था।
इसी संदर्भ में अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जमानत की शर्त के तौर पर किसी आरोपी को कोर्ट द्वारा उसकी गूगल पिन लोकेशन जांच अधिकारी के साथ साझा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
निजता का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत देने के बदले में कोई ऐसी शर्त नहीं लगाई जा सकती जिससे आरोपी की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाए। आरोपी को गूगल पिन लोकेशन साझा करना भी ऐसी शर्त है, जो आरोपी की निजता का उल्लंघन करती है।
पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश ड्रग्स केस में आरोपी एक नाइजीरियन नागरिक की अर्जी पर सुनवाई के दौरान दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत देते वक्त उसे अपने मोबाइल में गूगल मैप पिन को जांच अधिकारी के साथ शेयर करने को कहा था ताकि उसकी लोकेशन को ट्रैक किया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की इस शर्त को खारिज कर दिया है।
गूगल लोकेशन शेयरिंग क्या है?
गूगल लोकेशन शेयरिंग एक फीचर है जो गूगल मैप्स ऐप पर उपलब्ध है। यह फीचर एंड्रॉयड स्मार्टफोन और टैबलेट यूजर्स इस्तेमाल कर सकते हैं। इसकी मदद से आप किसी को भी रियल टाइम लोकेशन शेयर कर सकते हैं। जिसके पास आप अपनी लोकेशन शेयर करेंगे, वह यह आसानी से देख सकता है कि आप कहां पर हैं।