अब नो वेटिंग, ओनली कन्फर्म टिकट, रेलवे ने कर ही दिया जिसका था इंतज़ार!
छुट्टियों का यह मौसम रेलवे के लिए पीक सीजन माना जाता है । लेकिन ये पीक सीजन दलालों के लिए भी होता है , टिकट के दलालों के लिए । ये दलाल रेलवे की टिकट आरक्षण प्रणाली में घुसपैठ कर टिकटें बनाते हैं औरफिर कालाबाजारी कर उसे मंहगे दामों पर बेचते रहते हैं। नतीजा हमारे और आप जैसे सामान्य यात्रियों को बड़ी मुश्किल से सिर्फ वेटिंग टिकट ही मिल पाता है क्योंकि कंफर्म टिकट तो ये दलाल ले जाते हैं। गर्मी की छुट्टियों , होली-दिवाली जैसे पीक सीजन में तो समान्य यात्रियों के लिए कंफर्म टिकट पा जाना सपने की तरह ही होता है । सरकारें आती गई जाती गई लेकिन इन दलालों का वर्चस्व कम नहीं हुआ। कभी-कभार रेलवे इनके खिलाफअभियान चलाता है , कुछ गिरफ्तारी होती है। इसके बाद जेल फिर जमानत और ये दलाल फिर अपने दलाली के धंधे में जुट जाते हैं। हर बार रेलवे में सफर करने वाला आम यात्री अपने आपको ठगा सा महसूस करता है।पूर्वांचल , बिहार और बंगाल जाने वाली ट्रेनों में तो कंफर्म टिकटों की मारा-मारी साल भर बनी रहती है।
उम्मीद जगाता आरपीएफ का ऑपरेशन थंडर
इस बीच खबर आती है कि रेलवे सुरक्षा बल यानि आरपीएफ ने देशभर में इन दलालों के खिलाफ एक बड़ा ऑपरेशन चलाया है – ऑपरेशन थंडर । RPF ने ऑपरेशन थंडर अभियान के तहत देश के 205 शहरों के 338 स्थानोंपर छापा मार कर 387 दलालों को गिरफ्तार किया है । इतने बड़े पैमाने पर रेलवे ने पहली बार टिकट दलालों के खिलाफ कार्रवाई की है ।
रेलवे सुरक्षा बल- RPF ने अवैध तरीकों का इस्तेमाल कर ट्रेन टिकट कंफर्म कराने वाले दलालों के राष्ट्रव्यापी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 375 मुकदमें दर्ज कर 387 दलालों को गिरफ्तार किया गया है । इन दलालों के रैकेट काअंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इनके पास से पचास हजार यात्रियों से संबंधित लगभग 37 लाख रुपये की कीमत के बाइस हजार से ज्यादा टिकट जब्त किए गए। ये टिकट जिन पचास हजार से अधिक यात्रियों केलिए जारी किए गए थे, उन्हें अब वैध तरीके से पुन: टिकट लेने होंगे। इतना ही नहीं प्रारंभिक जांच में यह पाया गया कि इन दलालों ने इससे पहले भी लगभग 3.80 करोड़ रुपये मूल्य के टिकटों का अवैध कारोबार किया था।
रेलवे टिकट आरक्षण प्रणाली में घुसपैठ
देश का शायद ही कोई शहर हो जो रेलवे नेटवर्क से जुड़ा हो और इन दलालों की पहुंच से अछूता हो । ऑपरेशन थंडर के तहत सबसे ज्यादा 51 मामले कोलकाता में दर्ज हुए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर बिलासपुर रहा जहां 41 केसदर्ज किए गए हैं। इसी प्रकार गोरखपुर में 32, इलाहाबाद में 25, दिल्ली-एनसीआर में 30 जबकि पटना में 17 मामले दर्ज किए गए हैं। हद तो यह देखिए कि इन दलालों ने अवैध सॉफ्टवेयर बना कर रेलवे की आरक्षण टिकटप्रणाली तक में घुसपैठ कर ली थी। दलाल टिकट काउंटर एवं ई-टिकटिंग सुविधा का दुरुपयोग करते हुए फर्जीवाड़ा कर ऊंचे दामों पर रेल टिकटों की कालाबाजारी करते थे । ऑपरेशन थंडर की जानकारी देते हुए अधिकारियों नेबताया कि आरक्षित टिकट हासिल करने के लिए टिकट दलाल विभिन्न तरीकों से आईआरसीटीसी – IRCTC की वेबसाइट को हैक करते थे। ये टिकट दलाल कई नकली पर्सनल आईडी बनाकर रखते थे। सुबह दस बजे आमयात्रियों के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा ओपन होती है। जबकि सवा दस बजे से एजेंट की आईडी ओपन होती है। करीब सवा 11 बजे से स्लीपर के रिजर्वेशन टिकट एजेंट बना सकते हैं। पंद्रह मिनट के इस अंतर मेंही एजेंट फर्जी पर्सनल आईडी से धड़ाधड़ टिकटों की बुकिंग करते थे। हाईस्पीड इंटरनेट और अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए यह खेल बड़े पैमाने पर खेला जाता था। जिस बीच लोगों का कर्सर घूम रहा होता है, उसी दौरान ये लोगकई टिकट बुक करा चुके होते थे। जिस वजह से आम लोगों को कंफर्म टिकट मिल ही नहीं पाता था । वैसे अब इन सभी दलालों से जुड़े यूजर आइडी को रद्द किया जा रहा है । इनकी पहुंच का अंदाजा आप इसी से लगा सकतेहैं कि बीमार , दिव्यांग, बुजुर्ग, महिला, खिलाड़ी, सैनिक और पदक विजेता खिलाडि़यों की कंफर्म टिकट वाले इमरजेंसी कोटे में भी इनका खेल जारी था।
टिकट आरक्षण प्रणाली को पुख्ता बनाना रेलवे की जिम्मेदारी
सुरक्षित यात्रा करवाना रेलवे की प्राथमिक जिम्मेदारी मानी जाती है । समय के साथ-साथ इसमें बेहतर सुविधाएं प्रदान करवाना भी जुड़ गया है । मतलब बेहतर सुविधाओं के साथ सुरक्षित मंजिल पर यात्रियों को पहुंचानारेलवे की जिम्मेदारी है और हर सरकार , हर रेल मंत्री यही दावे भी करता है । ऐसे में आरपीएफ के इस ऑपरेशन थंडर की तारीफ तो करनी ही चाहिए लेकिन यहीं से रेलवे की एक बड़ी जिम्मेदारी भी शुरू होती है । रेलवे टिकटआरक्षण प्रणाली में इन दलालों की घुसपैठ का स्थायी समाधान निकालना बहुत जरूरी हो गया है । डिमांड-सप्लाई की थ्योरी तो बनी रहेगी लेकिन रेलवे को क्रिस के साथ मिलकर इस बात का पुख्ता इंतजाम तो करना हीचाहिए कि उसकी टिकट आरक्षण प्रणाली में कोई घुसपैठ न कर सके। लगातार उन्नत होते जा रहे तकनीक के इस दौर में यह कर पाना बहुत ज्यादा असंभव नहीं होगा। देश के तमाम आरक्षण केंद्र पर इंटरनेट की स्पीड बढ़ानेके साथ-साथ आईआरसीटीसी – IRCTC को भी यह निर्देश देना चाहिए कि वो अपनी साइट और एप्प की क्षमता बढ़ाए । एक बात और इतने बड़े पैमाने पर दलालों का नेटवर्क बिना किसी मिलीभगत के चलाना संभव नही हैंइसलिए रेलवे को एक अभियान अपने अंदर भी चलाना चाहिए । आखिर यह कैसे संभव हो पाता है कि सीसीटीवी कैमरे की मौजूदगी के बावजूद दलाल हर रोज टिकट खिड़की पर सबसे आगे खड़ा नजर आता है । इसलिए इसबड़ी कामयाबी के बाद जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ गई है। यही मौका है जब रेलवे इस समस्या का स्थायी समाधान निकाल सकता है । इतना बड़ा ऑपरेशन चलाकर रेलवे ने अपने सख्त रूख को तो जाहिर कर ही दिया है अबजरूरत इस बात की है कि ये सख्ती हर मोर्चें पर दिखाई जाए ताकि आम यात्रियों का हर मौसम में कंफर्म टिकट पाने का सपना सच साबित हो सके।