UP के शिक्षामित्र, रसोइया व अनुदेशकों के लिए खुशखबरी, CM योगी देंगे ये तोहफा
बेसिक शिक्षा विभाग ने सरकार के पास इस संबंध में काफी पहले भेजा गया था प्रस्ताव
लखनऊ: यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार तोहफो की बौछार करने वाली है। पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय बढ़ाने के ऐलान के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्राइमरी स्कूलों में कार्यरत शिक्षामित्रों रसोइयों और अनुदेशकों को तोहफा देने के मूड में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 29 दिसंबर को शिक्षामित्रों, रसोइयों और अनुदेशकों की सैलरी बढ़ाने का ऐलान कर सकते हैं। बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग ने सरकार के पास इस संबंध में काफी पहले प्रस्ताव भेजा गया था।
मुख्यमंत्री मानदेय बढ़ाने का कर सकते है ऐलान
जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बुधवार को रसोइयों और अनुदेशकों के साथ एक संवाद कार्यक्रम है। लखनऊ के अटल बिहारी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर यानी केजीएमयू में यह संवाद आयोजित किया जा रहा है और माना जा रहा है कि इसी दौरान मुख्यमंत्री मानदेय बढ़ाने का ऐलान कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों के मानदेय में 1500 रुपए, अनुदेशकों में 1000 रुपए, केजीबीवी के हेड कुक व रसोइयों के मानदेय में 1000 रुपए और रसोइयों में 500 रुपए की बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।
नवम्बर में शासन को भेजा गया था प्रस्ताव
बता दे कि मानदेय वृद्धि से जुड़ा उपरोक्त प्रस्ताव नवम्बर में शासन को भेजा गया था, जिस पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सतीश चन्द्र द्विवेदी के साथ बातचीत में भी कोई निर्णय नहीं हो पाया। फिलहाल, उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों का मानदेय 10 हजार रुपए, अनुदेशकों का सात हजार रुपए, रसोइयों का डेढ़ हजार रुपए व केजीबीवी के हेड कुक का 7971 और रसोइयों का 5848 रुपए मानदेय है। बता दें कि फिलहाल यूपी में प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में 377520 रसोइए व केजीबीवी में 2030 रसोइए कार्यरत हैं।
मानदेय की राशि बढ़ाने का किया ऐलान
बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के 8,84, 225 पंचायत प्रतिनिधियों पर सौगातों की बारिश की थी और ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों के मानदेय की राशि बढ़ाने का ऐलान किया था। साथ ही पंचायतों के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार भी बढ़ाया। मानदेय की धनराशि राज्य स्तर पर पृथक्कर शेष राज्य वित्त आयोग की राशि का वितरण ग्राम पंचायत क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायत के मध्य किया जाएगा. मानदेय की धनराशि आवश्यकतानुसार पंचायतों को अवमुक्त की जाएगी।