गाजियाबाद विवाद: क्या राहुल गांधी और ओवैसी पर होगी कार्रवाई, जानें क्या बोले कानून मंत्री
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बुजुर्ग की पिटाई के वीडियो विवाद मामले में पुलिस का एक्शन जारी है. इस मामले में गुरुवार यानी आज यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा है कि जिसने भी धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश की है उसको किसी भी कीमत पर सरकार नहीं छोड़ेगी और जांच के बाद कई बड़े नाम भी उजागर होंगे.
राहुल गांधी और असदुद्दीन ओवैसी पर यूपी के कानून मंत्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति हो जांच के दायरे में आएगा. हमारी पुलिस जांच कर रही है और कानून की किताब के मुताबिक, किसी को बख्शा नहीं जाएगा वह चाहे जितना बड़ा व्यक्ति हो चाहे जितने बड़े दल का आदमी है.
यूपी कानून मंत्री ने कहा कि हम पूरे मामले की जांच करा रहे हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति चाहे जितना बड़ा हो वह जांच के दायरे में आने के बाद नहीं बचेगा. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से धार्मिक उन्माद फैलाने को लेकर ट्विटर पर भी एफआईआर दर्ज हुई है. हमारी पुलिस काम कर रही है पूछताछ भी होगी और गिरफ्तारी भी होगी.
UP Police की FIR में क्या कहा गया है?
प्राथमिकी में कहा गया है, ‘इन लोगों ने मामले की सच्चाई की पुष्टि नहीं की और सार्वजनिक शांति को बाधित करने एवं धार्मिक समूहों के बीच विभाजन के इरादे से इसे साम्प्रदायिक पहलू देकर ऑनलाइन साझा किया.’ इसमें कहा गया है, ‘इसके अलावा, ट्विटर इंक और ट्विटर कम्युनिकेशन्स इंडिया ने भी इन ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
सोशल मीडिया पर 14 जून को सामने आए वीडियो क्लिप में बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति अब्दुल समद सैफी ने आरोप लगाया कि कुछ युवकों ने उनकी पिटाई की और उनसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए कहा, लेकिन गाजियाबाद पुलिस ने घटना के पीछे कोई साम्प्रदायिक कारण होने से इनकार किया और कहा कि आरोपी उस ताबीज से नाखुश थे जो सैफी ने उन्हें बेचा था. पुलिस ने सैफी पर हमला करने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. गाजियाबाद (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक इरास राजा ने बुधवार को बताया कि सैफी को पीटने के आरोप में कल्लू गुर्जर, प्रवेश गुर्जर और आदिल को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि पुलिस चार अन्य लोगों पोली, हिमांशु, आरिफ और मुर्शिद को भी तलाश रही है.
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा- पत्रकारों के खिलाफ FIR हो रद्द
ट्विटर और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी में कहा गया है कि गाजियाबाद पुलिस ने घटना के तथ्यों के साथ एक स्पष्टीकरण बयान जारी किया था, इसके बावजूद आरोपी ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो नहीं हटाया. इसमें कहा गया है कि पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया था कि सैफी पर हमला करने वालों में हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिम व्यक्ति भी शामिल थे और यह घटना साम्प्रदायिक नहीं थी, बल्कि उनके बीच निजी विवाद का परिणाम थी.
इस बीच प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने भी पुलिसिया कार्रवाई का संज्ञान लिया और मांग की कि पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी रद्द की जानी चाहिए क्योंकि यह गाजियाबाद पुलिस द्वारा ‘बदले की भावना’ से की गई कार्रवाई प्रतीत होती है ताकि मीडिया एवं समाज में ‘आतंक का माहौल बनाया जा सके.’ इसने बयान जारी कर कहा, ‘पीसीआई उत्तर प्रदेश सरकार से अपील करता है कि मामले में हस्तक्षेप करे ताकि पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें आसान निशाना नहीं बनाया जा सके.’