सीतापुर : घाघरा नदी के प्रकोप से बचाने का प्रशासन का वादा खोखला, अधर में लटकी लोगों की सांसे

सीतापुर के रामपुर मथुरा विकासखंड को घाघरा नदी के प्रकोप से बचाने के लिए शासन द्वारा अरबों रुपये खर्च कर बनाये बांधों से घाघरा में छोड़े जा रहे लाखों क्यूसेक पानी की धार के आगे यह सभी भारी-भरकम इंतजाम बौने साबित हो रहे हैं।


घाघरा की विनाश लीला से ग्रामीणों को बचाने के लिए कच्चे बंधे का निर्माण करीब 45 करोड़ की लागत से युद्ध स्तर पर किया गया है परन्तु घाघरा की तेज जलधारा ने बंधे और ठोकरों को ताकत आजमाइश दिखाना शुरू कर दिया है बंदे की तलहटी में बसे गांव में रहने वाले ग्रामीणों की सांसें फूल रही हैं ग्रामीणों को बाढ़ से बचाने के लिए शासन-प्रशासन कमर तो कसे है ।


परन्तु अभी रामपुर मथुरा विकासखंड के कुछ गांव में घाघरा का पानी घुस जाता है व ग्रामीणों का जीवन अस्त व्यस्त कर देता है आपको बता दें बीते दिनो ही नोडल अधिकारी बाढ़ क्षेत्र का दौरा करने गई थी और उनका दावा था कि क्षेत्र में अगर 5 लाख क्यूसेक पानी भी नदी में छोड़ दिया जाए तब भी सभी गांव सुरक्षित रहेंगे लेकिन आज आई इन तस्वीरों ने जमीनी हकीकत की पोल खोल दी है। रामपुर मथुरा के अरोरा गांव में चारों तरफ पानी भर गया है व ग्रामीण काफी दहशत में है वही ग्रामीणों की माने तो बीते दिनों से वह अपने घरों में नहीं जा पा रहे हैं व अपने कच्चे घर को उजाड़ कर दूसरी जगह विस्थापित होने का प्रयास कर रहे हैं वहीं कई कई दिनों से भोजन न मिल पाने के कारण ग्रामीण भूखे भी सोने को मजबूर हैं अब वह अपना गांव छोड़ ऊंचाई वाली जगहों पर छप्पर , पल्ली तान कर रहने का प्रयास कर रहे हैं , ऐसे में सवाल यह उठता है कि शासन प्रशासन के द्वारा किए जा रहे दावे क्या हवा हवाई ही हैं।

रिपोर्ट-मदन यादव

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