गंगा में बढ़ा जलस्तर, लोग गिराने लगे अपने आशियाने अपने ही घरों पर हथौड़े चलाकर गिरा रहे घर
हरदोई के बिलग्राम इलाके में गंगा नदी के बदले रुख के चलते मक्कूपुरवा समेत आस-पास गांव के आधा दर्जन गांवों के लिए मुसीबत बन गया है।इधर कटान की जद में आए एक दर्जन मकानों के ग्रामीणों ने अपना आशियाना उधेड़ना शुरू कर दिया है सामान और मलवे में निकली ईंट, पत्थर, खिड़की, दरवाजे समेटकर जिंदगी बचाने में जुटे हुए है जबकि कई के मकान कटान की जद में आकर ढह गई है।
पिछले कुछ सालों में गंगा नदी के बहाव ने तेजी से रुख बदला है नदी की धार मुख्य धारा पूर्व के स्थान से दो किलोमीटर दूर से बहने व कटान करने लगी है, नदी ग्राम मक्कूपुरवा से सट कर बह रही है और मकानों का कटान कर रही है।इधर कटान की जद में आए गांव के एक दर्जन आशियानों पर कटान के कारण बहने का खतरा मंडराने लगा है, परेशान ग्रामीणों ने गृहस्थी व जिंदगी बचाने के लिए सामान समेटना शुरू कर दिया है साथ ही आशियाना को उधेड़कर खिड़की, दरवाजे व ईंट-पत्थर सुरक्षित कर रहे हैं।वही मक्कूपुरवा समेत क्षेत्र के ग्राम चिरंजू पुरवा, रायसिंह पुरवा, रघुवीरपुरवा, गुलाब पुरवा व नेहाल पुरवा आदि गांव के पास भी गंगा नदी तेजी से कटान कर रही है।हालांकि इनमें से कुछ गांव ऐसे हैं जिनकी आबादी अभी बहाव से दूर है,लेकिन अगर इसी तेजी से कटान होता रहा तो इन गांवों में भी स्थिति खराब हो जाएगी।
ग्राम मक्कूपूरवा गंगा के मुहाने पर बसा हुआ है। बीत 10 वर्ष से चार बार कट चुका है। इस गांव मे बने परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय का भवन गत वर्ष गंगा में समाहित हो चुका है। लगभग आधा किलोमीटर तक गंगा अपना स्थान बदलकर आगे बढ़ चुकी है। कटने पर लोग पीछे हट कर घर बना लेते हैं। इस बार फिर इस गांव के लोगों पर पानी की आफत आ गई है। ग्राम प्रधान पति राजेश कुमार ने बताया कि पानी बढ़ने से गांव निवासी बसंत लाल, राम नरायन, दिनेश, अच्छेलाल, कैलाश, लक्षमन, राधे, सुनील, राम खिलावन, भगवानदीन, बनवारी, श्रीकृष्ण तथा बटेश्वर आदि के घर कट गए हैं। घरों के गिरने का यह सिलसिला पिछले चार पांच दिनों से चालू है।कई लोगों ने अपने पक्के घर स्वयं तोड़ डाले। उसमें लगी ईंटें निकालकर ऊंचाई वाली जगहों पर पहुंचा दी हैं। उनको इसी बात पर संतोष है कि कम से कम ईंटें ही बच जाएंगी। जिनसे आगे रहने के लिए कुछ बना लिया जाएगा। कुछ दिन पहले गंगा मे पानी बढ़ा था जो अब स्थिर है लेकिन गंगा की धार सीधे गांव पर ही आकर टकरा रही है।