अमरोहा में बीमा राशि हड़पने वाला गिरोह सक्रिय

अमरोहा , उत्तर प्रदेश का अमरोहा अबतक आंतकवादी स्लीपर सेल, साइबर ठगी, सीबीएसई बोर्ड की नकली पुस्तकों के जखीरा बरामद होने, अवैध रूप से भारी मात्रा में चंदन की लकडी बरामद होने जैसे मामलों में काफी चर्चित रहा है, वहीं अब बडे पैमाने पर लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद बीमा राशि हडपने वाले संगठित अपराध पनप रहे हैं।


उत्तर प्रदेश के अमरोहा से इतने बड़े नेटवर्क का संचालन किया जा रहा है, लेकिन स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों को उनकी भनक तक नहीं लगी।संगठित अपराधियों के ऐसे तमाम सक्रिय जालसाज गिरोह लोगों की हत्या ,कहीं बीमाधारक व्यक्ति की स्वाभाविक मौत को हादसा बता कर बीमा की रकम हडप रहे हैं।

रकम पर दावा कर मृतकों के परिवारों और अन्य लोगों से सांठगांठ कर अलग अलग बीमा कंपनियों के समक्ष करोड़ों रुपए के बजरिये दावे रकम हडप चुके हैं।बताया जाता है कि ऐसे संगठित जालसाज गिरोह ,बीमार और शराब के लती लोगों को निशाना बनाते हैं,और उनके परिवार के सदस्यों को भी इसके लिए राजी करते हैं, और फिर उनकी तरफ से रकम अदा कर टर्म पालिसी खरीद लेते रहे हैं।

पालिसी धारक की हत्या के बाद जालसाज आरोपी इसे हादसे में मौत का रुप देकर बीमा कंपनी की रकम पर दावा ठोकते हैं।बीमा की रकम मिलने के बाद मृतक के परिवार के सदस्यों और पुलिस प्रशासन समेत अन्य लोगों को भी हिस्सेदारी दी जाती थी।


संगठित गिरोह के सरगना अमुक व्यक्ति की आईडी, आधार कार्ड,, फोटो लेकर निजी क्षेत्र के एक्सेस बैंक में खाता खुलवाते हैं, उसके बाद चैक बुक पर हस्ताक्षर कराकर रख लेते हैं,उस बीमाधारक की इंश्योरेंस पॉलिसी पीएनबी, मैक्स लाईफ, महिंद्रा कोटेक, और आईसीसी आदि बीमा कंपनियों में करा दिया जाता है,परंतु कहां कहां बीमा कराया गया है इससे लोग अनजान रहते हैं।


व्यक्ति की आईडी पर सिम निकालने के बाद अपने मोबाइल में डाल लेते हैं।बीमा कंपनियों की सारी जानकारी आरोपी जालसाजों के पास पहुंचती रहती है। जालसाजों के कब्जे में आईडी, सिम, हस्ताक्षरित चेकबुक, आदि जरूरी दस्तावेज रहते हैं।गौरतलब है कि ऐसे बीमाधारक बामुश्किल एक दो साल जीते हैं।और क्लेम एक दो साल में जालसाजों के पास पहुंच जाता है।

इस तरह के संगठित अपराध में बीमा कंपनी, सर्वेयर, जांच अधिकारी एजेंट, बैंक के अधिकारी तथा स्थानीय पुलिस की संलिप्तता रहती है।हालांकि इस तरह के मामले पिछले काफी अर्से से हो रहे हैं,जिसमें से कुछ जालसाज करोड़ों रुपए के वारे न्यारे कर सक्रिय गिरोह से अलग होकर अब अपनी कंपनी चला रहे हैं।

यह मामला तब उजागर हुआ जब एक पीडित की तहरीर पर संगठित गिरोह के सक्रिय सदस्य युद्धवीर के विरुद्ध धोखाधड़ी, कूटरचना करना, धमकी देना के संबंध में मुकदमा अपराध संख्या 374 ,2020 धारा 420,468,467,471,506 आईपीसी के तहत अमरोहा जनपद के थाना मंडी धनौरा में पंजिकृत कराया है।

इस संबंध में जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र सौंप कर ऐसे तमाम लोगों के खाते की रकम और अकूत बेनामी संपत्ति की प्रवर्तन निदेशालय(ईडी), एसटीएफ तथा स्पेशल क्राइम ब्रांच से उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई है।
संगठित होकर जालसाजी करने तथा जमीनों के अवैध तरीकों से बैनामा कराने तथा विरोध करने पर गंभीर परिणाम भुगतने जैसी धमकी देने को लेकर व्यापारी वर्ग का एक प्रतिनिधिमंडल भी डीएम, एसपी से इस बाबत मिल चुका है।

शिकायतकर्ताओं का कहना है कि कानून के हाथ बडे लंबे होते हैं, लेकिन इतने लंबे होते हैं जो आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करना तो दूर उनसे पुलिस ने पूछताछ करना भी मुनासिब नहीं समझा है।


इस संबंध में पुलिस अधीक्षक सुनीति ने गुरुवार को यहां बताया कि फर्जी तरीके से बीमा हडपने तथा फर्जी आईडी से सिम एक्टिवेट करने का मामला मंडी धनौरा थाने में दर्ज है। मामला उनके संज्ञान में आने के बाद ऐसे तमाम जालसाजों के नेटवर्क का पता लगाया जा रहा है।ऐसे लोगों के खिलाफ गहनता से विवेचना की जाएगी।

गाजियाबाद से भी कुछ तथ्य जुटाए जा रहे हैं।अमरोहा पुलिस की सक्रियता को देखते हुए लगता है कि संगठित अपराध को अंजाम देने वाले अब पुलिस के शिकंजे से बच नहीं पाएंगे। दोषियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने के लिए पुलिस की मुहिम जारी है।

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मंडी धनौरा(अमरोहा) महादेव निवासी श्याम कुमार मैक्स लाईफ इंश्योरेंस कंपनी मुरादाबाद में एजेंसी एसोसिएट पद पर कार्यरत थे।उनका आरोप है कि उनके संपर्क में आया युद्धवीर सिंह निवासी मल्हूपुरा ने उनसे कंपनी में बीमा एजेंट बनने हेतु मनुहार की थी।लेकिन जब उसके शैक्षिक प्रमाण पत्र में हाईस्कूल फेल देखा तो उसे एजेंट बनाने से इंकार कर दिया था।

लेकिन इस दौरान एक अन्य एजेंट जो जालसाजी, कूटरचना कर के अकूत बेनामी संपत्ति के मालिक के सानिध्य में फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे खुद मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी,पीएनबी मैटलाइफ ब्रांच मेरठ का भी कूटरचित प्रपत्रों के आधार पर एजेंट बन गया,जबकि नियमानुसार एक व्यक्ति एक समय में सिर्फ एक ही कंपनी में एजेंट बन सकता है,और तब से उसने फिर पीछे मुडकर नहीं देखा।

आरोप लगाया है कि उसने एजेंट बन कर अपने वयोवृद्ध दादा लल्लू सिंह का बीमा मैक्स इंश्योरेंस कंपनी में कूटरचना से बीस साल उम्र कम दर्शाते हुए बीमा कर दिया, कुछ दिन बाद आरोपी के दादा की अचानक मृत्यु हो गई,और क्लेम के दावे का पूरा भुगतान ले लिया।उसके बाद वयोवृद्ध नानी,मां एवं अपने पिता की उम्र कम दर्शाकर बीमा ले रखा है।

जबकि आरोपी के पिता के खिलाफ 1981 में धारा 353 के तहत मंडी धनौरा थाने में मामला दर्ज है,जो अभी तक पेंडिंग पडा हुआ है।आरोप है कि मंडी धनौरा थाने से किसी तरह चरित्र प्रमाणपत्र बनवा रखा है, जिसके आधार पर सरकार द्वारा अलाटिड बिजनौर के जलीलपुर ब्लाक में अपने ऊंचे रसूखात के जरिए शराब के ठेका हथिया लिए।इस प्रकार सुरेश, धर्मवीर, रघुराज यादव की भी कूटरचना द्वारा कम उम्र दर्शा कर बीमा राशि हडप लेने का आरोप है।

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