चंबल सेंचुरी से घड़ियाल निकलकर पहुच रहे यमुना नदी की गोद में
औरैया। इटावा-औरैया जिले में सेंचुरी क्षेत्र (चंबल) से निकलकर यमुना नदी में आ आये घड़ियाल के बच्चे भैंस पर सवारी करते हुए देखे जा रहे हैं। यमुना नदी के किनारे बसे लोगों ने बताया कि पिछले दिनों चम्बल व यमुना नदी में आयी बाढ़ के दौरान ये घड़ियाल चंबल सेंचुरी से यमुना की धारा में आ गये हैं। जानकारों के मुताबिक सेंचुरी क्षेत्र (चंबल) में पाये जाने वाले दुर्लभ घड़ियाल, मगरमच्छ व कछुए के बच्चे यमुना-चंबल में बाढ़ के दौरान अपने-अपने कुनबे से बिछुड़ जाते हैं जिनको शिकारी अपना शिकार बना लेते हैं।
जिले में चंबल सेंचुरी जिसका अंत जुहीखा गांव के पास पंचनद धाम पर होता है। यह सेंचुरी घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुओं के संरक्षण, प्रजनन के लिए विश्व विख्यात है।इसकी देखभाल के लिए सरकार सेंचुरी विभाग कर्मचारियों और अधिकारियों के ऊपर करोड़ों रुपये खर्च करती है और उन्हें मोटरबोट के साथ साथ हर तरीके की सुविधाऐं देती है फिर भी प्रति वर्ष यहां इन जीवों पर कुछ न कुछ संकट पड़ता ही रहता है। गत वर्षों में भी घड़ियाल मरने की खबरें सुर्खियों में रही थीं। अब ताजा मामला सेंचुरी क्षेत्र से घड़ियाल के बच्चों का निकलकर यमुना नदी में आने से जुड़ा है। बरसात के दिनों बाढ़ इस क्षेत्र में अपना अलग ही रौद्र रूप दिखाती है, जिससे चंबल नदी से घड़ियाल, मगरमच्छ और कछुओं के बच्चे पानी की तेज धार में बहकर सेंचुरी से बाहर आकर यमुना नदी में आ जाते हैं,।
तब इनकी रक्षा करना सेंचुरी विभाग के लिए बहुत ही कठिन होता है। मौका मिलते ही नदी में शिकारी इनका शिकार कर लेते हैं। जुहीखा पुल के पास गांव के नीचे यमुना नदी में घड़ियाल के लगभग एक माह के बच्चे को देखा गया। कुछ लोगों ने मौके पर जाकर इस चित्र को अपने कैमरे में कैद कर लिया। यह बच्चा यमुना में पानी पीने पहुंची भैंस के पीठ पर बैठा हुआ था। मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने सेंचुरी विभाग को इस संबंध में जानकारी दी। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह के दुर्लभ जीवों और उनके बच्चों के प्रति लापरवाही ठीक नहीं है।