एमपी से लेकर हिमाचल तक- दस राज्यों में अब भी परेशान कर रहा कोरोना का ‘R’ वैल्यू
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) का डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) एक बार चिंता बढ़ा रहा है. खबर है कि इस वेरिएंट के चलते देश में रिप्रोडक्शन या ‘R’ वैल्यू का आंकड़ा फिर 1 को पार कर गया है. एक महीने पहले यह संख्या 0.93 पर थी. इसके अलावा देश में ऐसे कम से कम 10 राज्य हैं, जहां यह वैल्यू 1.01 की राष्ट्रीय औसत से ऊपर बनी हुई है. ‘R’ वैल्यू के जरिए जानकार यह पता लगाते हैं कि संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं या कम हो रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर टी जैकब जॉन का कहना है, ‘इसका मतलब है कि एक व्यक्ति एक से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है.’ मार्च में ‘R’ वैल्यू 1.4 के आसपास थी, क्योंकि मामले तेजी से बढ़ रहे थे. वहीं, मई में जब मामलों में कमी आनी शुरू हुई, तो आंकड़ा 0.7 के करीब आ गया. बढ़ते आरओ को चिंता का कारण बता रहे महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि वे केवल R वैल्यू के बढ़ने पर किसी राज्य या जिले को रेड जोन नहीं कर सकते.
हालांकि, सभी राज्यों में केवल आर वैल्यू के आधार पर जोखिम को नहीं देखा जा सकता. उदाहरण के लिए एमपी में हर रोज 30 से कम मामले सामने आ रहे हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऐपेडेमियोलॉजी के निदेशक डॉक्टर मनोज मुरहेकर ने कहा, ‘रोज मिलने वाले अनियमित आंकड़ों के चलते आर वैल्यू ज्यादा है, लेकिन यह जोखिम के संकेत नहीं देती, क्योंकि जांच कराने वाले लोगों की तुलना में संक्रमित पाए जाने वाले लोगों का प्रतिशत अभी भी कम है.’आरओ के विश्लेषण से कुछ और पैटर्न्स के बारे में पता लगा है. रिपोर्ट के अनुसार, डेटा दिखाता है कि दूसरी लहर अब घटने के दौर से गुजर रही है, जो देश के उत्तर-पूर्वी हिस्सों में मजबूत थी. उत्तर-पूर्वी राज्यों में केवल नागालैंड में आंकड़ा एक से ज्यादा है. रोज एक हजार से ज्यादा संक्रमण के मामले दर्ज कर रहे कुछ राज्यों मे वैल्यू एक से कम है. इनमें मिजोरम, असम और ओडिशा का नाम शामिल है. हालांकि, इन राज्यों में संक्रमण और मौत की संभावनाएं अभी भी ज्यादा हैं. ऐसे में कई राज्य पाबंदियां हटा रह हैं, जिससे मामले फिर बढ़ सकते हैं.