मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह की दोस्ती से लेकर दुश्मनी तक का सफर, जहाज में हुई थी पहली मुलाकात
सुना है राजनीति में व्यक्तिगत रूप से कोई एक दूसरे का दुश्मन नहीं होता। ना कोई स्थाई दुश्मन होता है और ना ही कोई स्थाई दोस्त। हम बात कर रहे हैं दिवगंत अमर सिंह और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की दोस्ती से लेकर दुश्मनी तक। इन दिगगजों की कहानी सियासी गलियारों में गूंजने के साथ मीडिया की सुर्खियां भी बन चुकी हैं। अमर सिंह और मुलायम सिंह की दोस्ती की शुरूआत आज से 24 साल पहले हुई थी। उस वक्त मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री थे। साल 1996 में अमर सिंह और मुलायम सिंह एक जहाज में मिले थे।
बड़े उद्योगपति के रूप में पहचाने जाने वाले अमर सिंह 1996 के बाद मुलायम सिंह के इतने खास बन गए कि उन्हें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद पर बैठा दिया गया। राजनीतिक जानकार कहतें है कि साल 2000 के आसपास अमर सिंह का समाजवादी पार्टी में दखल बढ़ा और टिकटों के बंटवारे से लेकर पार्टी के कई बड़े फैसलों में उन्होंने मुलायम के साथ प्रमुख भूमिका निभाई।
2010 वो साल था जब अमर सिंह सपा से दूर होते चले गए. दो दशक तक पूर्वांचल की सियासत में बड़ी भूमिका निभाने वाले अमर को जब साल 2010 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया गया तो उन्होंने पू्र्वांचल को अलग राज्य घोषित करने की मांग के साथ अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकमंच का गठन किया।
अमर सिंह पर मुलायम परिवार को तोड़ने का आरोप भी लगा। मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव ने ही अमर सिंह पर आरोप लगाया कि वह उनके परिवार को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। अखिलेश ने अमर सिंह को बाहरी व्यक्ति बताकर उनकी तमाम बार आलोचनाएं भी की। हालांकि साल 2016 में जब अमर सिंह को फिर राज्यसभा का सांसद बनाने का मौका आया तो उनके निर्दलीय प्रत्याशी होने के बावजूद एसपी ने उनका समर्थन कर उन्हें राज्यसभा भेजा। हालांकि इसके बावजूद कई मौकों पर एसपी नेता आजम खान और राज्यसभा सांसद अमर सिंह एक दूसरे के खिलाफ तमाम तल्ख बयान देते रहे।