बुरहानपुर में 15 अगस्त तक प्राचीन स्मारकों मे प्रवेश निशुन्क
बुरहानपुर में 15 अगस्त तक प्राचीन स्मारकों मे प्रवेश निशुन्क

बुरहानपुर में 15 अगस्त तक प्राचीन स्मारकों मे प्रवेश निशुन्क
बुरहानपुर 5 अगस्त।मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मंडल के अधीन प्राचीन स्मारकों में अगले 11 दिनों तक प्रवेश निशुल्क रहेगा। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है। बुरहानपुर मे एएसआई के सहायक संरक्षक वर्ग 2 विपुल मैश्राम के अनुसार संरक्षित स्थलों पर 5 अगस्त से शुरू हुई निशुल्क छूट की व्यवस्था 15 अगस्त तक रहेगी।बुंरहानपुर और आसपास में एएसआई के दर्जनभर से अधिक स्मारक है।इनमें से सिर्फ बुरहानपुर के शाही किले में ही प्रवेश शुल्क है। सामानय दिनों में यह शुल्क देशी पर्यटक के लिए 20 रूपए और विदेशी पर्यटक के लिए 250 रूपए है। बुरहानपुर में वर्षभ्रर में बडी संख्या मे देशी-विदेशी पर्यटक आते है। कोरोनाकाल के बाद इनकी संख्या कम हुई है। ऐतिहासिक महत्व के बुरहानपुर के शाही किले का निर्माण ताप्ती नदी किनारे वर्ष 1457 के दौरान फारूकी बादशाह आदिल खान ने करवाया था। 7 मंजिला यह किला कई ऐतिहासिक उतार-चढाव का साक्षी रहा है। कई मुगल बादशाह के यहा आकर रहने से यहॉ दरबारे-ए-आम और दरबार–ए-खास भी लगता रहा है। 7 जून 1631 की रात को हिंदुस्तान की मलिका बेगम मुमताज महल ने यहा अंतिम सांस ली थी। वर्ष 1664-65 के दौरान मुगल बादशाह औरंगजेब किले मे रूक थे। इस दौरान छत्रपति शिवाजी महाराज के मराठा गुप्तचरों ने किले के बारूदखाने में आग लगा दी थी। इससे किले का काफी बडा हिस्सा ढह गया था। हालाकि औरंगजेब बच गया था इसके बाद भूतल सहित अब चार मंजिले ही शेष है। बुरहानपुर में एएसआई के अधीन आसीरगढ दुर्ग, आहुखाना, महल गुलआरा का किला, आसीरगढ की ईदगाह, बीबी की मसजिद, चूडी वाली मसजिद, बेगम शाहशुजा का मकबरा,जनता इमाम, शाही हमाम और काला ताजमहल आदि है।