ब्रिटेन के पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन ने संसद की सदस्यता से दिया इस्तीफा, जानिए क्या थी वजह!
- ब्रिटेन: ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस फैसले से पूरे देश को चौंका दिया है। दरअसल, हाल ही में एक संसदीय समिति ने कहा था कि लॉकडाउन के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में पार्टियों का आयोजन किया जा रहा था, जो कि साफतौर पर लॉकडाउन का उल्लंघन था, लेकिन जॉनसन ने इस मामले में संसद को गुमराह किया था, वह हाउस आफ कामंस (संसद) को कहते रहे कि लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है. इस
मामले में उन्हें दंडित किया जाएगा।
जॉनसन ने इस्तीफे की घोषणा कर दी है, लेकिन वे कुर्सी पर शरद ऋतु तक टिके रहना चाहते हैं। उनकी इच्छा है कि इस्तीफे का एलान भले हो गया हो, 30 नवंबर तक इस्तीफा न दें और उसके बाद ही उनका उत्तराधिकारी चुना जाए लेकिन उनकी कंजर्वेटिव पार्टी में जिस तरह की बगावत हो रही है, उसे देखते हुए लगता यही है कि उन्हें अपना पद तुरंत छोड़ना पड़ेगा। पार्टी के करीब 60 सांसद जो सरकार में किसी न किसी पद पर थे, इस्तीफा दे चुके हैं। यह मांग भी जोर पकड़ रही है कि जॉनसन से तुरंत इस्तीफा लिया जाए और उनकी जगह एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाए।
उनके सांसदों ने उन्हें हटाने के लिए पार्टी मंच पर एक अविश्वास प्रस्ताव 6 जून को रख दिया। वह प्रस्ताव तो गिर गया, लेकिन पार्टी के 41 प्रतिशत सांसदों ने उनके खिलाफ वोट दिए। असंतोष का जो ज्वालामुखी पार्टी के अंदर ही अंदर धधक रहा था, वह दो-तीन दिन पहले फूट पड़ा। पार्टी के मंत्रियों और सांसदों ने इस्तीफों की झड़ी लगा दी। ब्रिटिश संसद के पिछले लगभग चार सौ साल के इतिहास में यह शायद ऐसी पहली घटना है, जब किसी प्रधानमंत्री पर उसके मंत्रियों और सांसदों ने इतने संगीन आरोप लगाए हों और उसे इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया हो।
एक जनमत सर्वेक्षण से पता चला कि ब्रिटेन के 10 में से सात लोग चाहने लगे थे कि जॉनसन की छुट्टी हो जाए। जॉनसन की बदनामी इस बात को लेकर भी हुई कि उन्होंने अपने पुराने सांसद और मित्र ओवेन पीटरसन को बचाने के लिए संसद की अनुशासन समिति के नियम बदलवा दिए। उन्होंने कोरोना में लगे प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए प्रधानमंत्री-निवास में भोजनोत्सव मनाया। जॉनसन ब्रिटेन के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने, जिन पर 50 पौंड का जुर्माना ठोका गया, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने एक सामूहिक भोज में हिस्सा लिया था। उन्होंने क्रिस पिंचर को कंजर्वेटिव पार्टी का डेप्युटी चीफ नियुक्त कर दिया था, यह जानते हुए भी कि उस पर दो औरतों के साथ जबर्दस्ती करने के आरोप हैं। अपने निजी फ्लैट को किसी से सजवाने और करीबियन द्वीप की पारिवारिक यात्रा के लिए उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे।
जॉनसन की छवि इतनी खराब हो गई कि कुछे पार्टी नेताओं को छोड़कर ज्यादातर लोग उनकी आलोचना करने लगे। यहां तक कि जो ब्रिटिश अखबार 2019 तक उनकी विरुदावलियां गा रहे थे, उन्होंने भी उनके खिलाफ लिखना शुरू कर दिया। विपक्षी लेबर पार्टी पहले से कहीं ज्यादा मुखर हो गई। यहां तक कहा जाने लगा कि यदि जॉनसन इस्तीफा नहीं देते और जोड़-तोड़ करके पद पर बने रहते हैं तो कोई आश्चर्य नहीं कि ब्रिटिश संसद को भंग करवाकर चुनाव की घोषणा कर दी जाए बहरहाल, उनका स्थान लेने के लिए पार्टी में कम से कम आधा दर्जन नेताओं के नाम उभर रहे हैं।
यदि अगले दो साल में उन्होंने बेहतर काम करके दिखाया तो यह संभव है कि कंजर्वेटिव पार्टी दोबारा सत्तारूढ़ हो जाए।