कोयला घोटाले में दोषी करार पूर्व मंत्री दिलीप रे की सजा पर रोक
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखंड में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में ट्रायल कोर्ट से दोषी करार पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को मिली सजा पर रोक लगा दी है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के बाद सजा पर रोक लगाने का आदेश दिया।
दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 26 अक्टूबर को दिलीप रे समेत चार आरोपितों को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिलीप रे के अलावा कोयला मंत्रालय के तत्कालीन अधिकारियों प्रदीप कुमार बनर्जी, नित्यानंद गौतम और कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस के डायरेक्टर महेन्द्र कुमार अग्रवाल को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने दिलीप रे पर दस लाख रुपये, प्रदीप कुमार बनर्जी और नित्यानंद गौतम पर दो-दो लाख रुपये और महेन्द्र अग्रवाल पर 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने दोषी कंपनी कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस पर साठ लाख रुपये और और कैस्ट्रॉन माईनिंग लिमिटेड पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
इससे पहले 6 अक्टूबर को कोर्ट ने 1999 में कोयला ब्लॉक के आवंटन घोटाला मामले में दोषी करार दिया था। यह मामला झारखंड के गिरिडीह में ब्रह्मडीहा में 105 हेक्टेयर से ज्यादा के कोयला ब्लॉक के आवंटन से जुड़ा है। ये कोयला ब्लॉक कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड नामक कंपनी को आवंटित की गई थी। दिलीप रे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कोयला राज्यमंत्री थे।