भारत-चीन वार्ता में तनाव कम करने पर रहा फोकस
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सोमवार को 12 घंटे हुई सातवें दौर की सैन्य वार्ता के बाद साझा बयान में भारतीय सेना ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों पक्ष तनाव कम करने के लिए ईमानदार और रचनात्मक हैं। दोनों देशों के बीच चुशुल में हुई दोनों पक्षों ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ विघटन पर गहन और रचनात्मक विचारों का आदान-प्रदान किया।
बयान में कहा गया है कि चर्चा के दौरान दोनों देशों में एक दूसरे की स्थिति को लेकर आपसी समझ बढ़ी है।भारत-चीन सीमा इलाके के पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर तनाव को कम करने के लिहाज से दोनों पक्षों ने ईमानदार, व्यापक और रचनात्मक चर्चा की। वार्ता में भारत और चीन के बीच इस बात पर सहमति बनी कि जल्द से जल्द सैनिकों के पीछे हटने के लिए दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान निकालने के लिए संवाद बनाए रखा जाएगा। प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्षों ने सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से संवाद और संचार बनाए रखने के लिए सहमति व्यक्त की। सेना के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष मतभेद बढ़ाने के बजाय दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति को ईमानदारी से लागू करने और संयुक्त रूप से सीमा क्षेत्रों में शांति की रक्षा करने के लिए सहमत हुए हैं।
इससे पूर्व भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच 21 सितम्बर को करीब 14 घंटे चली छठे दौर की बैठक के बाद जारी हुए साझा बयान में कहा गया था, “दोनों पक्ष सीमा पर और अधिक सैनिकों को भेजने से रोकने के लिए सहमत हैं, एकतरफा रूप से जमीन पर ऐसी किसी भी कार्रवाई करने से बचेंगे जो स्थिति को जटिल कर सकती हैं।” बयान में यह भी कहा गया था, “दोनों देश महत्वपूर्ण सहमति को लागू करने, जमीन पर संचार तंत्र को मजबूत करने और गलतफहमी से बचने के लिए ईमानदारी से सहमतियों को लागू करने पर राजी हुए हैं।” इसके बावजूद अभी तक सीमा पर जमीनी हालात बिलकुल नहीं बदले हैं।
पिछली बैठक में भारत ने मुख्य रूप से मास्को में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक में तय किये पांच सूत्री बिन्दुओं पर फोकस किया था। छठे दौर की वार्ता में इस पर चीन से एक रोड मैप मांगा गया था लेकिन सोमवार को हुई बैठक के जारी बयान में इस बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है। पिछली बैठक में भारत ने चीन से साफ तौर पर कहा था कि पीएलए को सीमा पर कोई आक्रामक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए अन्यथा भारतीय सैनिक खुद की रक्षा के लिए गोली भी चला सकते हैं।