गोरखपुर सरकार बेखबर, प्रशासन बेफिक्र, सीएम सिटी के बाढ़ग्रस्त गांव से परेशान हुए लोग
गोरखपुरः सरकार बेखबर और प्रशासन बेफिक्र भले ही है. वे भले ही मानने को तैयार नहीं हैं कि कहीं बाढ़ से मुश्किलें बढ़ी हैं. लेकिन, पिछले 10 से 15 दिनों में उफनाती राप्ती, रोहिन और सरयू आमी ने गांव के लोगों को मुश्किलों में डाल दिया है. सीएम सिटी के बाढग्रस्त ग्रामीण इलाकों में सरकारी और प्रशासनिक मदद अब तक नहीं पहुंची है. यहां गांव के लोगों ने मवेशियों के साथ बंधे पर सहारा लिया है. जो लोग गांव में अपने घर पर हैं, उन्हें थर्माकोल के जुगाड़ की नाव के सहारे ही बाहर आने का सहारा है.
गोरखपुर के कई इलाक़ों के लोगों का बुरा हाल है. 10 से 15 दिन से हालात ऐसे हैं कि लोगों को थर्माकोल के जुगाड़ की नाव के सहारे ही गांव में अपने घरों से शहर आकर राशन-पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. सरकारी मदद के नाम पर न तो राशन ही मिला है और न ही पीने का शुद्ध पानी है. उफनाई राप्ती रोहिन और सरयू आमी ने हज़ारों की आबादी वाले गांव के लोगों को मुश्किलों में डाल दिया है. कोई भी प्रशासनिक अफसर बीते 10 से 15 दिनों गुजरने के बावजूद यहां पर पुरसाहाल लेने नहीं पहुंचे हैं.
प्रशासन लगातार ये दावे कर रहा है कि कहीं कोई गांव बाढ़ से प्रभावित नहीं है. यानी गांव में बाढ़ का पानी नहीं गया है. लेकिन, जिस तरह से नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर बह रहा है. ऐसे में दो-तीन फिट पानी बढ़ते ही सैकड़ों गांववालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यही वजह है कि हम 10 से 15 फीट गहरे पानी में प्राइवेट नाव के सहारे जान का जोखिम लेकर कई गांव के आखिरी छोर तक पहुंचे हैं. जिससे कि बेखबर सरकार और बेफिक्र प्रशासनिक अफसरों की नींद टूट सके और गांव तक लोगों को मदद पहुंच सके.
इन्हें बंधे के बीच में जान का जोखिम लेकर मवेशियों के साथ रहना पड़ रहा है. वहीं गांव के अंदर भी हम पहुंचे, तो वहां सरकार और प्रशासन की ओर से न तो राशन और पानी का इंतजाम हुआ है. न ही कोई अफसर उनका हाल लेने ही आज तक पहुंचा है. गोरखपुर से 10 से 12 किमी दूर इस गांव के लोगों का घर गांव में डूबा हुआ है. अधिकतर लोगों ने पहली मंजिल पर शरण ली हुई है. यहां न तो लोगों के पास राशन ही बचा है और न ही अन्य सुविधाएं मिली है.
गाँव के लोग नाव से ही आने-जाने का रिस्क ले रहे हैं. वे कहते हैं कि सीएम योगी ने हवाई दौरा किया है. उन्होंने सीएम से मदद की गुहार लगाई है.गाँव के लोग पानी में डूबते हुए जान का खतरा लेकर गांव जा रहे हैं. वे बताते हैं कि काफी परेशानी हो रही है. 15 से 20 दिन हो गए हैं. कोई सरकारी और प्रशसनिक मदद नहीं मिली है. वे कहते हैं कि थर्माकोल की जुगाड़ की नाव बनाकर किसी तरह से राशन-पानी गांव और घर तक पहुंचा रहे हैं. मवेशी भी बंधे पर हैं. वे सरकार और सीएम योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगा रहे हैं. सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हो रही है. गांव में बाढ़ के पानी में घर डूब गया है. 10-12 दिनों से यहां पर हैं. राप्ती नदी का पानी बढ़ रहा है. पीने का पानी तक नहीं मिल रहा है. प्राइवेट नाव जुगाड़ की चल रही है. राशन-पानी की कोई मदद नहीं मिली है.