जानिए कैसे हुई UPSC परीक्षा की शुरुआत और जानिए देश के पहले SC ऑफिसर की सफलता का राज
आज के समय में अगर कोई यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेता है तो उसे बहुत बड़ा कारनामा कहा जाता है। यूपीएससी की परीक्षा पास करना अपने आप में एक बड़ी बात है। इसके लिए खूब मेहनत करनी पड़ती है। हालांकि ज्यादातर माता पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे इस परीक्षा को पास कर आईएएस ऑफिसर बन जाए। लेकिन यह कहना आसान जरूर है लेकिन इसे कर पाना बहुत मुश्किल। इसलिए ही हर साल लाखों छात्र इसकी परीक्षाएं देते हैं इसमें से कुछ ही लोग सफल हो पाते हैं। इस परीक्षा के लिए हर साल करीब 10 लाख आवेदन प्राप्त होते हैं, जिनमें से मात्र 1 हजार छात्रों का सलेक्शन होता है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह परीक्षा पास करना एक बड़ा कारनामा है।
छात्रों को दिन रात कड़ी मेहनत करनी पड़ती है तब जाकर छात्र इस परीक्षा को पास कर पाते हैं। बहुत से छात्र इसकी पढ़ाई के वक्त ही इसे छोड़ देते हैं। हालांकि अगर किसी चीज को करने की ठान लो तो सभी चीजें आपके हक में जाती हैं। संघ लोक सेवा आयोग तीन चरणों में इस परीक्षा को कराता है जिसमें प्री एग्जाम, मेन एग्जाम और इंटरव्यू शामिल हैं।
इन तीनों चरणों के द्वारा प्राप्त हुए अंकों के आधार पर एक रैंक तैयार की जाती है। हालांकि जब संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विस के एग्जाम की शुरुआत की थी, तब इस परीक्षा के लिए न तो इतने आवेदन प्राप्त होते थे और न इतनी मुश्किल परीक्षा होती थी। आज हम आपको बताएंगे कि यूपीएससी के सिविल सर्विस एग्जाम की शुरुआत कब और किस तरीके से हुई। आज हम आपको यह भी बताएंगे कि देश के पहले sc-st आईएएस ऑफिसर की सफलता का राज।
बता दें कि 1948 में देश को आजादी मिली जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान भी लागू हुआ। इस साल संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विस की पहली परीक्षा शुरू कर दी थी। बता दें कि यूपीएससी कि इस परीक्षा में केवल 3647 छात्रों ने ही हिस्सा लिया था। उस समय यूपीएससी की रिपोर्ट में sc-st कैंडिडेट्स की संख्या का खुलासा होता ही नहीं था। लेकिन परिणाम आने के बाद देश के पहले SC आईएएस के बारे में जरूर बताया गया था।
बता दें कि देश के पहले एस सी आई ए एस ऑफिसर अचूतानंद दास बने थे। बताया जाता है कि उन्होंने लिखित परीक्षा में टॉप किया था। कहा जाता है कि अचूतानंद दास के एससी होने के कारण उन्हें इंटरव्यू में सबसे कम नंबर मिले थे। अगर ऐसा न होता तो भारत का पहला IAS टॉपर बनने का तमगा भी उन्हीं के नाम होता।
बता दें कि अचूतानंद दास वेस्ट बंगाल के रहने वाले थे अचूतानंद दास ने सिविल सर्विस की लिखित परीक्षा में 1050 में से 609 नंबर यानि 58% अंक हासिल किए थे और मद्रास के एन कृष्नन को 602 नंबर यानि 57.33% अंक मिले। कृष्नन को इंटरव्यू में 300 में से 260 नंबर मिले जबकि अचूतानंद को इसके आधे नंबर ही हासिल हो पाए थे ।
वहीं वेस्ट बंगाल के एक और कैंडीडेट अनिरुद्ध दासगुप्ता ने इंटरव्यू में शानदार प्रदर्शन किया था। तीनों कैंडीडेट्स में से कृष्नन ने टॉप किया था। अनिरूद्ध दासगुप्ता को 22 वीं और अचूतानंद को 48 वीं रैंक हासिल हुई थी। सिविल सर्विस की पहली परीक्षा के इन परिणामो ने सभी को चौंका दिया था।