महंत के सुसाइड नोट के फिंगर प्रिंट मैच
नरेंद्र गिरि के दस्तखत बैंक दस्तावेजों से मैच हुए; CBI आरोपी शिष्य आनंद गिरि का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराएगी
20 सितंबर की शाम महंत नरेंद्र गिरि का शव मठ के कमरे में फंदे पर लटकता हुआ मिला था। पास ही एक सुसाइड नोट भी मिला था।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत मामले में अहम खुलासा हुआ है। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, अभी तक की जांच में सुसाइड नोट पर नरेंद्र गिरि के दस्तखत उनके बैंक खाते में किए गए दस्तखत से मैच हो गए हैं। सुसाइड नोट पर नरेंद्र गिरि के फिंगर प्रिंट भी मैच हुए हैं। नरेंद्र गिरि के सुसाइड लेटर की फॉरेंसिक जांच जारी है। हालांकि, सीबीआई ने इस बारे में अभी आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी है। वहीं, सीबीआई आनंद गिरी का लाई डिक्टेटर टेस्ट करवाने की तैयारी कर रही है। सीबीआई इसके लिए कोर्ट से अनुमति लेगी।
आनंद गिरि के वकील ने सुसाइड नोट पर उठाए सवाल
इस मामले में आरोपी महंत के शिष्य आनंद गिरि के वकील सुधीर श्रीवास्तव ने सुसाइड नोट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि सुसाइड लेटर अखाड़ा परिषद के पैड पर लिखा है। कई बार नरेंद्र गिरि के लिए लिखा-पढ़ी का काम करने वाले उनसे पहले से पैड पर साइन करवा लेते थे। हो सकता है कि किसी ने साजिश के तहत पहले से नरेंद्र गिरि के हस्ताक्षर करवा लिए हों। अभी सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। जांच के बाद ही तय हो पाएगा कि सच क्या है?
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों के पैनल से जांच करवाना चाहता है अखाड़ा
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महासचिव महंत हरि गिरि ने कहा है कि अखाड़ा परिषद अपने स्तर पर इस मामले की जांच कराने की तैयारी में है। महंत नरेंद्र गिरि की मौत की जांच के लिए हाईकोर्ट के पांच रिटायर्ड जजों को मिलाकर एक अलग जांच पैनल नियुक्त करने की मांग रखने की तैयारी है।
महंत ने कहा कि यह मुद्दा सीधे तौर पर सभी वरिष्ठ संतों की सुरक्षा से जुड़ा है। जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि ने दोहराया कि महंत नरेंद्र गिरि की मौत आत्महत्या नहीं है। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच का नतीजा जो भी हो, मैं यह मानने को तैयार नहीं हूं कि महंत नरेंद्र गिरि, जो 30 साल से अधिक समय से मेरे करीबी सहयोगी रहे हैं, आत्महत्या कर सकते हैं।
नरेंद्र गिरि की मौत के पीछे कोई और कहानी: हरि गिरि
महंत हरि गिरि ने कहा है कि संतों को इस बात पर अभी भी विश्वास नहीं है कि इतने मजबूत इरादों वाला व्यक्ति ऐसा कदम उठा सकता है? इस वजह से लगता है कि इस मामले के पीछे कोई और भी कहानी है। इसकी तह तक जाना चाहिए। इस मामले की और गहरी जांच की जरूरत है। अतीत में चार संतों की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो चुकी है और नरेंद्र गिरि को छोड़कर अब तक अन्य किसी संत की मौत की जांच नहीं कराई गई है।