वित्त मंत्री ने पेश किया ऐतिहासिक बजट, जानिए इस बार क्या- क्या हुआ पहली बार
कोरोना संकट के बीच देश की आर्थिक स्थिति (Union Budget 2021) को को मजबूत करने के लिए मंगलवार 1 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट पेश किया। इस साल का बजट कई मायनों में खास रहा है। सबसे पहले बजट हर साल पारंपरिक तौर पर बहीखाते के साथ पेश किया जाता था लेकिन इस बार की खास बात ये रही कि भारत ने आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल भारत पर जोर देते हुए निर्मला सीतारमण जब बजट पेश करने के लिए निकली तो उस वक्त उनके हाथ में बहीखाते और ब्रीफकेस की जगह मेड इन इंडिया टैब था। जिसके जरिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बजट पेश किया।
पेपर लेस बजट
देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि लोकसभा में बजट पेपरलेस तौर पर पेश किय गया। हर साल बजट पेपर पर छपा होता था जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में पढ़ती थी लेकिन इस बार मंत्रालय ने एक ऐप लॉन्च किया जिसपर बजट 2021-22 से जुड़ी हुई सारी जानकारी मौजदू थी। हर साल बजट की कॉपियां छपती थी जिसे बाद में मीडिया और सांसदों को दी जाती थी लेकिन इस बार पेपर लेस होने की वजह से हर किसी को इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप के जरिए दी गई है।
शेयर बाजार ने तोड़ा ये रिकॉर्ड
हर साल बजट पेश होने से पहले और बाद में शेयर बाजार में तहलका मचा रहता था लेकिन मंगलवार को जब निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किया तो शेयर बाजार ने 24 सालों का रिकॉड तोड़ दिया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स 2314.84 अंकों यानी 5% की बढ़त के साथ 48,600.61 पर बंद हुआ है।
डिजिटल पर दिया गया जोर
कोरोना काल ने पूरे देश का माहौल बदल लिया। देश में पहली बार ये होगा कि जनगणना डिजिटल तौर पर होगी। इस बार बजट में डिजिटल जनगणना के लिए सरकार ने बजट में 3,760 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही ये भी ऐलान किया गया कि अधिकारियों को को फॉर्म की जगह टैब दिया जाएगा।
ठेके कर्मचारियों के लिए किया गया ये ऐलान
इस बार बजट की खास बात ये है कि पहली बार गिग- ठेके और प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 में शामिल किया गया है। आपको बता दें कि गिग कर्मचारी वो कर्मचारी होते हैं जो ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म के लिए काम करते हैं। जैसे उबर, ओला, स्विगी और जोमैटो से जुड़े कर्मचारी। इन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलता है जिसके कारण वो प्रोविडेंट फंड, समूह बीमा और पेंशन जैसी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं।