खतरे में हैं कोरोना की खबर करने वाले !

पत्रकार नावेद शिकोह की कलम से

 

पत्रकार भले ही समाज के बुद्धिजीवी वर्ग में आते हों, लेकिन उनके अंदर भी एक आम इंसान होता है। अपनों के बीच आम हंसी-मज़ाक की भाषा में पत्रकारों को दिए जाने वाले गिफ्ट को हम लोग डग्गा कहते हैं। रिपोर्टिंग में इस्तेमाल होने वाले पैन, फाइल, नोटबुक, डायरी और अन्य चीजें अक्सर पत्रकारों को सरकारी और ग़ैरसरकारी प्रेस कांफ्रेंस इत्यादि में दी जाती है।

आजकल देश-दुनिया का हर इंसान एक गंभीर समस्या से जूझ रहा है। एहतियात और जागरूकता ही हमें कोरोना से बचा सकती है। इंसान इंसान से दूर रहे। भीड़ इकट्ठा होने से रोकी जाये। इसीलिए स्कूल, कॉलेज, मॉल, क्लब, स्वीमिंगपूल, आयोजन यहां तक कि धार्मिक स्थल भी बंद कर दिए गये हैं।

सरकार का आदेश है कि ऑफिस जाने से भी परहेज़ किया जाये। जहां तक संभव हो घर मे बैठ कर ही ऑफिस का काम किया जाये। दुनिया ठप्प हो जाये.. दुनिया ठहर जाये.. सब काम बंद हो जायें, लेकिन मीडिया का काम नहीं रुक सकता।
कोरोना वायरस जागरूकता की जानकारियों से ही थम सकता है। इसलिए इस क़हर को रोकने के लिए मेडिकल से जुड़े लोगों के बाद मीडिया की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

पत्रकारिता का सबसे बड़ा किरदार पत्रकार फील्ड में निकले बिना काम कर ही नहीं सकता। देश-दुनियां के पत्रकार कोरोना से बचने की जागरूकता और सूचनाएं आमजन तक पंहुचाने के लिए जान पर खेल कर फील्ड रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

दुनिया कोरोना के पेशेंट से दूर भाग रही है और पत्रकार जानकारियां और सूचनाएं जुटाने के लिए कोरोना के पेशेंट के करीब जाने में भी परहेज़ नहीं कर रहे हैं। ऐसी रिपोर्टिंग में अहतियात जरुरी है। हर रिपोर्टर को रिपोर्टिंग के दौरान मास्क लगाना बेहद ज़रुरी है। कैमरा, कलम और नोटपैड से भी ज्यादा आजकल रिपोर्टिंग के लिए मास्क ज़रुरी हो गया है।

अगर उत्तर प्रदेश के पत्रकारों की बात की जाये तो यहां अस्सी प्रतिशत पत्रकार दस से तीस हजार प्रतिमाह अल्प वेतन पर ही निर्भर हैं। मीडिया संस्थान पत्रकारों का किस तरह शोषण करते हैं। इस बात से आम लोग तो नहीं लेकिन पत्रकार बखूबी वाक़िफ हैं। कई बार तो कई-कई महीने वेतन नहीं मिलता। इंक्रीमेंट नहीं होता। रिपोर्टिंग के लिए जरुरी संसाधन जुटाने में भी कुछ मीडिया संस्थान आनाकानी करते हैं।

ऐसे में साधनहीन फील्ड के पत्रकारों को यदि योगी सरकार मास्क दे दे तो बेहतर होगा। कोरोना के ख़ौफ में योगी सरकार की तीसरी वर्ष गांठ पर मुख्यमंत्री की प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों को मास्क बंट जाते तो ये यादगार और सराहनीय सरकारी डग्गा होता।

ख़ैर कोई बात नहीं मेरे इस आग्रह के बाद फील्ड रिपोर्टर को मास्क बांटे जाये़गे, इस बात का मुझे पूरा यक़ीन है।
गो कोराना.. गो.कोरोना..

 

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