‘बलिदानी मेजर की मां फातिमा बोहरा: बेटे की यादें जीवंत रहेंगी’
'सैनिक मरते नहीं...दिलों में रहते हैं जीवित', यह बात मेजर मुस्तफा बोहरा की मां फातिमा बोहरा ने कही है जिनके बेटे ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया अद्भुत साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र मिला है।
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**एक अनमोल वीरता: मां की आँखों में बेटे की यादें**
भारतीय सेना के मेजर मुस्तफा बोहरा की बलिदानी प्रक्रिया ने देशवासियों के दिलों में एक नई पहचान बना दी है। उनकी मां, फातिमा बोहरा, ने उनकी यादों को साझा करते हुए यह कहा कि सैनिक मरते नहीं हैं, वे लोगों के दिलों में ‘एक और जिंदगी’ जीते हैं।
मेजर मुस्तफा बोहरा ने अपने जीवन को राष्ट्र सेवा में समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपनी वीरता और साहस की मिसाल पेश की, जब वे हेलीकॉप्टर में आग लगने के बावजूद भी अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया। उनकी आदर्शवादीता और साहस को देखते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया।
उनकी मां फातिमा बोहरा ने बताया कि जब मुस्तफा ने नेशनल डिफेंस अकादमी में पहला कदम रखा, तो उनका संकल्प स्पष्ट था – देश सेवा में समर्पित रहना। उन्होंने अपने बेटे के संघर्षों और सफलताओं के संघर्ष का भी वर्णन किया, जिसने उन्हें गर्व महसूस कराया।
फातिमा बोहरा ने बताया कि उन्होंने कई बार अपने बेटे की बलिदानी प्रक्रिया पर सोचा है और यह समझा है कि वे कैसे एक नया जीवन जीते हैं, उनके शौर्य की गाथा हर भारतीय को प्रेरित करती है। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे ने न केवल अपने परिवार को बल्कि पूरे देश को गर्वित किया है। उनकी यादें हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेंगी।”
इस प्रकार, मेजर मुस्तफा बोहरा की बलिदानी प्रक्रिया और उनकी मां फातिमा बोहरा की विशेष यादें हमें समझाती हैं कि असली वीरता और समर्पण का मतलब क्या होता है। उनका संघर्ष और उनका समर्पण हमें हर वक्त प्रेरित करता रहेगा।