काले चावल की खेती से किसानों को होगा बड़ा फायदा, जानिए काले चावल के फ़ायदे
भारत एक ऐसा देश है जहां पर चावल की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है। इसी के साथ भारत चावलों का निर्यात सबसे ज्यादा करता है। भारत में कई किस्म के चावल पाए जाते हैं लेकिन अगर काले चावल की बात की जाए तो यह चावल पहले भारत में नहीं मिलते थे। काले चावल की जो शुरुआत हुई वह चीन से हुई है। चीन में काले चावल की खेती हुई और उसके बाद दूसरे देशों में भी काले चावल की खेती की जाने लगी उन्हीं देशों में भारत भी शुमार है। चीन की बात की जाए तो चीन में चावल की खेती बड़ी मात्रा में नहीं की जाती जिसके कारण चीन को चावलों का आयात करना पड़ता है। पूरी दुनिया भर में चीन एक ऐसा देश है जो चावलों का आयात सबसे ज्यादा करता है। लेकिन काले चावल की शुरुआत छीन ने की। काली चावलों के बारे में बताया जाता है कि यह चावल काफी फायदेमंद होता है आम लोगों के लिए भी और किसानों के लिए भी।
सबसे पहले आइए आपको बताते हैं कि भारत में काले चावलों की खेती कब से और कहां से शुरू हुई।
भारत के उत्तरी पूर्वी क्षेत्र असम और मणिपुर में सबसे पहले काली चावलों की खेती की गई। बताया जाता है कि सन 2011 से ही असम और मणिपुर में काले चावल की खेती शुरू हो गई थी। कृषि विज्ञान केंद्र ने काले चावल की खेती के बारे में किसानों को जानकारी मिली थी इसके बाद आसपास के करीब 200 किसानों से इसकी खेती शुरू करा दी गई। जिसके बाद सिक्किम और मिजोरम जैसे क्षेत्र में भी इसकी खेती की जाने लगी। आज पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्य में भी इसकी खेती शुरू की गई है। हालांकि पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे पहले पंजाब राज्य ने काले चावल की खेती करना शुरू किया।
आमदनी बढ़ाने का जरिया
काले चावल की खेती करना बहुत अच्छा माना जाता है। किसानों के नजरिए से अगर देखा जाए तो यह कहा जाता है कि काले चावल की खेती से किसानों को भी बड़ा फायदा होता है। इस बात का जिक्र खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं उन्होंने उत्तर प्रदेश के वाराणसी में दिए गए भाषण में कहा था कि काले चावल की खेती करने से किसानों को भी फायदा होता है। अगर पारंपरिक चावल के मुकाबले काले चावल की बात की जाए तो 500 गुना अधिक कमाई इस धान की खेती से हो सकती है। कई राज्यों की सरकारें इस की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही है।
आखिर क्यों बन रहा है यह चावल लोगों की पसंद?
काला चावल अब लोगों की पसंद बनता जा रहा है जिसके कई कारण हैं। काली चावल की खेती जैविक तरीके से की जाती है। जिसकी वजह से है धान लोगों को पसंद आ रहा है। वही असम के कई किसानों को इससे अच्छी कमाई भी हो रही है आमतौर पर जहां चावल 15 से ₹80 किलो के बीच बिकता है वहीं इस चावल की कीमत 250 से शुरू होती है। हालांकि न्यूज़ नशा की रिपोर्ट के अनुसार यह जरूर पता लगा है कि किसान इस चावल को ₹100 से अधिक के मूल्य पर बेच रहे हैं वही आम लोगों को यह चावल 250 रुपए से शुरू होकर 300 रुपए तक मिल पा रहा है। वही जो ऑर्गेनिक कॉले चावल है उनकी कीमत ₹500 प्रति किलो तक भी है। यह चावल सेहत के लिए भी बहुत अच्छा बताया जा रहा है क्योंकि यह कार्बोहाइड्रेट से मुक्त काले चावल है जो कि शुगर पेशेंट और ह्रदय रोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है। काले चावल के सेवन से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी नियंत्रित किया जा सकता है इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होने की वजह से अपच की समस्या को भी दूर करने और एंटी ऑक्साइड तत्व की वजह से आंखो के लिए भी यह फायदेमंद रहता है। इसी के साथ ही मोटापे को कम करने के लिए भी यह चावल फायदेमंद होता है।