किसानों ने सरकार के किस-किस मुद्दे पर भेजे प्रस्ताव को ठुकराया , जानिए
कृषि कानूनों (Farm Laws) पर विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को एक लिखित प्रस्ताव भेजा है। सरकार ने कृषि कानूनों में कुछ संशोधन के सुझाव के तौर पर लिखित आश्वासन दे दिया है। किसानो का कहना है कि वह सरकार का प्रस्ताव देखेंगे, लेकिन अब भी उनकी मांग तीनों कानूनों को रद्द करने की है। हालांकि किसानों का रुख अभी भी सख्त है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि “कृषि कानून का मसला किसानों की शान से जुड़ा है, ऐसे में वो इससे पीछे नहीं हटेंगे। सरकार कानून में कुछ बदलाव सुझा रही है, लेकिन हमारी मांग कानून को वापस लेने की है। राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी है तो हम भी अड़े हैं, कानून वापस ही होगा।
किसानों के मुद्दे और सरकार के प्रस्ताव
मुद्दा- व्यापारी के पंजीकरण की व्यवस्था न करके मात्र पैन कार्ड के आधार पर किसान से फसल खरीद की व्यवस्था है जिससे धोखा होने की आशंका है।
प्रस्ताव- उठाई गयी शंका के समाधान हेतु राज्य सरकारों को इस प्रकार की आशंका के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान की जा सकती है जिससे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार राज्य सरकारें किसानों के हित में नियम बना सके।
मुद्दा- कृषि सुधार कानूनों को निरस्त करना.
प्रस्ताव- कानून के वो प्रावधान जिन पर किसानों को आपत्ति है, उन पर सरकार खुले मन से विचार करने को तैयार है।
मुद्दा- बिजली संशोधन विधेयक 2020 को समाप्त किया जाए।
प्रस्ताव- किसानों की विद्युत बिल भुगतान की वर्तमान व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं।
मुद्दा- किसान की भूमि पर बड़े उद्योगपति कब्ज़ा कर लेगें। किसान भूमि से वंचित हो जाएगा।
प्रस्ताव- प्रावधान पूर्व से ही स्पष्ट है फिर ये स्पष्ट कर दिया जाएगा कि किसान की भूमि पर बनाई जाने वाली सरंचना पर खरीददार (स्पांसर) द्वारा किसी प्रकार का ऋण नहीं लिया जा सकेगा और न ही ऐसी सरंचना उसके द्वारा बंधक रखी जा सकेगी।
मुद्दा- किसानों की भूमि की कुर्की हो सकेगी।
प्रस्ताव- प्रावधान स्पष्ट है, फिर भी किसी प्रकार के स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो तो उसे जारी किया जाएगा।