बंगाल में लागू नहीं हो सकता किसान बिल
कोलकाता। केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘किसान सम्मान निधि’ की तरह बंगाल सरकार अब हाल ही में संसद द्वारा पारित ‘किसान बिल’ को भी लागू नहीं कर सकती है। राज्य सचिवालय सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है।
सूत्रों का कहना है कि किसान बिल पारित करते समय तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन समेत जिस तरह से 8 विपक्षी सांसदों को निलंबित किया गया, उससे ममता बनर्जी खासा नाराज हैं। इसके अलावा सीएम ने यह भी दावा किया है कि यह विधेयक किसानों के हित में नहीं है बल्कि इससे किसानों की आत्महत्या भी बढ़ेगी और कथित तौर पर उनकी जमीनें भी छीनी जाएंगी। भले ही इसमें किसानों का कर माफ करने और छोटे-मझोले किसानों को दलालों से बचाने का दावा किया जा रहा है। बंगाल सरकार इस विधेयक को राज्य में लागू नहीं करेगी।
भाजपा इस बात को भाप चुकी है, इसलिए राज्यपाल जगदीप धनखड़ के पास एक ज्ञापन सौंपकर किसान बिल लागू करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की है। राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में भाजपा ने स्पष्ट किया है कि तृणमूल कांग्रेस इस विधेयक पर लोगों को गुमराह कर रही है। भाजापा का कहना है कि पश्चिम बंगाल में किसान बुरी हालत में हैं। इनमें से 90 प्रतिशत किसान छोटे खेत वाले हैं और उनकी जीवन बिचौलियों की दया पर निर्भर है, जिन्हें सत्ताधारी पार्टी के गुंडे नियंत्रित करते हैं।
भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार किसानों के लिए फायदेमंद केंद्र सरकार के कार्यक्रमों को लागू नहीं करती है, क्योंकि उनसे जुड़े लाभ सीधे लोगों के खातों में जाने की वजह से सत्ताधारी दल को अपना हिस्सा या अवैध दलाली नहीं मिल पाएगी।
राज्यपाल को सौंपे एक ज्ञापन में भाजपा ने दावा किया है कि सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस किसानों को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा पारित तीनों विधेयकों पर लोगों को गुमराह कर रही है। इसे लागू किया जाना चाहिए।