MSP पर अड़े किसान! हरियाणा सरकार उठा सकती है ये बड़ा कदम
नई दिल्ली. हरियाणा (Haryana) के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने रविवार को कहा है कि किसानों के खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने के मुद्दे पर अंत में चर्चा की जाएगी. हाल ही में सरकार ने किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की घोषणा की थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की तरफ से तीन कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी किसानों ने MSP, FIR समेत कई मुद्दों पर प्रदर्शन जारी रखा है. सीएम खट्टर ने शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, खट्टर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के हालिया बयान को लेकर सवाल किया गया था. इसपर खट्टर ने कहा, ‘जब ये सारा विषय फाइनल्टी की ओर जाएगा और केंद्र सरकार क्या कहेगी, उस समय देखेंगे.’ तोमर ने कहा था, ‘जहां तक विरोध के दौरान दर्ज मामलों का सवाल है, यह राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आता है और वे मामलों की गंभीरता के आधार पर फैसला लेंगे. मुआवजे का मुद्दा भी राज्य सरकारों के तहत आता है.’
शुक्रवार को पीएम से मुलाकात के बाद खट्टर ने कहा था कि पीएम ‘किसानों के बारे में चिंतित हैं’ और चाहते हैं कि वे ‘अपने घर वापस लौटें.’ उन्होंने यह साफ किया था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कोई भी चर्चा नहीं हुई. खट्टर ने कहा, ‘एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, आंदोलनकारी किसान, केंद्र सरकार के अधिकारी और राज्यों के जन प्रतिनिधि शामिल होंगे, जो इस मुद्दे (MSP) पर विचार करेंगे. इसके संबंध में घोषणा की गई है.’
सीएम खट्टर के बयान पर भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, ‘अगर केंद्र इस मुद्दे को सुलझाने के लिए गंभीर हैं, तो उन्हें पहले ही मामलों को वापस लेने के लिए निर्देश जारी कर देने चाहिए थे कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद जल्द से जल्द मामले भी वापस लिए जाए. इसके आगे राज्य सरकारों की भी अपनी जिम्मेदारी है. जैसे पंजाब सरकार ने पहले ही मामले वापस लेने का ऐलान कर दिया है.’
चढ़ूनी ने आगे कहा, ‘क्या उन्होंने केंद्र से पूछने के बाद इसकी घोषणा की है? ये किसान अपराधी नहीं बल्कि प्रदर्शनकारी हैं और राज्य सरकार को उनके खिलाफ दर्ज मामले अपने आप ही वापस लेने चाहिए. जारी आंदोलन में जान गंवाने वालों को राज्य सरकार को मुआवजा भी देना चाहिए, क्योंकि अपने नागरिकों को जिंदा रखना राज्य की जिम्मेदारी है.’ किसान नेता ने कहा, ‘अगर सरकार मामला सुलझाना चाहती है, तो इसे सुलझाया जाना चाहिए. अगर वह इसे जारी रखना चाहती है, तो वह यह भी चुन सकती है. किसान दोनों स्थिति में तैयार हैं.’