किसान आंदोलन: अमेरिका ने कहा इंटरनेट बंद करना आज़ादी पर बंदिश, भारत ने दिया ये जबाब

किसान संगठनों के विरोध प्रदर्शन के मुद्दे पर पॉप स्टार रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के बाद हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया था। इसमें भारत के आंतरिक मसलों में दखल देने वाले विदेशी ताकतों को कड़ी चेतावनी दी गई थी। हालांकि, इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी कृषि कानून से लेकर किसान आंदोलन और इंटरनेट शटडाउन के मुद्दे पर भारत को नसीहतें दी थीं। अब भारत ने भी अमेरिका की बात का जवाब दिया है और दिल्ली में 26 जनवरी के दिन हुई हिंसा की तुलना अमेरिका में 6 जनवरी को हुई कैपिटल हिल की हिंसा से कर दी।

किसान आंदोलन हिंसा पर: भारत में जारी किसान आंदोलन पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में अमेरिका के नए प्रशासन ने गुरुवार को कहा कि वह दोनों पक्षों (केंद्र सरकार और किसान संगठनों) के बीच वार्ता के जरिए मतभेदों के समाधान को प्रोत्साहित करता है और शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी ‘‘सफल लोकतंत्र’’ की विशेषता हैं।

किसान आंदोलन से पश्चिमी यूपी में बड़ा परिवर्तन, फिर एक साथ आ रहे जाट-मुसलमानParliamentकिसान आंदोलन की नौबत क्यों आई, राज्यसभा में विपक्ष ने सरकार से पूछा सवाल; लोकसभा में लगातार तीसरे दिन भी हंगामा
इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी प्रदर्शन को लोकतांत्रिक और राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में तथा गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार और संबद्ध किसान संगठनों के प्रयासों को अवश्य ही देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को हिंसा की घटनाओं, लालकिले में तोड़फोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं, जैसा कि छह जनवरी को (अमेरिका में) ‘कैपिटल हिल’ घटना के बाद देखने को मिला था। साथ ही, भारत में हुई घटनाओं से हमारे संबद्ध स्थानीय कानूनों के मुताबिक निपटा जा रहा है।’’

ये भी पढ़ें-उत्तर भारत के कई राज्यों में मौसम ने बदला रंग, बारिश और ओले की संभावना

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमने अमेरिकी विदेश विभाग की टिप्पणियों पर गौर किया है। इस तरह की टिप्पणियों को उसी संदर्भ में देखने की जरूरत है, जिस संदर्भ में वे की गई हैं और उन्हें संपूर्णता में देखे जाने की भी आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका साझा मूल्यों वाले अनूठे लोकतंत्र हैं।

कृषि कानूनों पर: अमेरिका ने इसके साथ ही भारत सरकार के कदमों का समर्थन भी किया और कहा कि इनसे भारतीय बाजारों की क्षमता में सुधार हो सकता है और व्यापक निवेश आकर्षित हो सकता है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने वाशिंगटन में कहा, ‘‘अमेरिका उन कदमों का स्वागत करता है, जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां व्यापक निवेश के लिए आकर्षित होंगी।’’ इस टिप्पणी को नई दिल्ली ने कृषि सुधारों की दिशा में सरकार के कदमों को मिली मान्यता के रूप में देखा।

इंटरनेट सेवाओं पर: अमेरिका ने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन और इंटरनेट तक निर्बाध पहुंच किसी भी ‘‘सफल लोकतंत्र’’ की ‘‘विशेषता’’ हैं। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन से संबंधित सवालों के जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने वाशिंगटन में और अमेरिकी दूतावास ने दिल्ली में ये टिप्पणियां कीं।

इसके कुछ घंटे बाद ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने टिप्पणियों का संज्ञान लिया है और उन्हें संपूर्ण परिप्रेक्ष्य में देखना महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘एनसीआर क्षेत्र के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच के सिलिसले में कुछ अस्थायी कदम उठाये गए थे, जो और अधिक हिंसा को रोकने के उद्देश्य से थे।’’

रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के बाद आया था MEA का बयान: बता दें कि भारत और अमेरिकी विदेश मंत्रालय के यह बयान ऐसे समय में जारी हुए हैं, जब अमेरिकी पॉप गायिका रिहाना और जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्वीट के जरिए दिल्ली की सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि देश की संसद ने ‘‘सुधारवादी कानून’’ पारित किया है, जिसपर ‘‘किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग’’ को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानूनों पर रोक भी लगाई गई है।

Related Articles

Back to top button