लड़कियां फेसबुक पर भारी: जानिए क्यों फ़ेसबुक के लिए बनी परेशानी की वजह ?
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फेसबुक पर सवाल
सोफी झांग ने फेसबुक की विश्वसनीयता पर उठाए सवालफ्रांसिस ने साइट पर एक्शन नहीं लेने के लगाए थे आरोपफेसबुक पर उठे सवाल तो अंखी दास ने दिया था इस्तीफा
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक फिर सवालों के घेरे में है। फेसबुक की पूर्व डेटा साइंटिस्ट फ्रांसिस हेगन के बाद सोफी झांग के खुलासे ने दुनियाभर में लोकप्रिय सोशल साइट को सामने आने पर मजबूर कर दिया है। फेसबुक व्हिसलब्लोअर सोफी झांग ने कहा कि वह अमेरिकी सीनेट के सामने गवाही देने को तैयार हैं। उनका दावा है कि उन्होंने अमेरिकी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सामने कई डाक्यूमेंट्स दिए हैं जिनसे पता चलता है कि फेसबुक ने कानूनों का उल्लंघन किया है। डेटा साइंटिस्ट के तौर पर फेसबुक के साथ काम कर चुकीं सोफी झांग को पिछले साल यह कहते हुए कंपनी से निकाल दिया गया था कि वो अच्छा परफॉर्म नहीं कर रही हैं।
सोफी झांग यूरोपीयन पार्लियामेंट्री कमेटी के सामने भी पेश हो चुकी हैं। हालांकि सीएनएन के साथ इंटरव्यू में उन्होंने फेसबुक के बारे में एक अमेरिकी जांच एजेंसी को दी जानकारी को लेकर कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। यूएस फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।
भारतीय मीडिया की सुर्खियों में सोफी
बहरहाल, सोफी झांग भारत में भी चर्चा में हैं। उनका दावा है कि सोशल नेटवर्किंग की इस दिग्गज कंपनी ने पिछले साल दिल्ली चुनावों में फर्जी खातों के खिलाफ सिलेक्टिव कार्रवाई की। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनावों को प्रभावित करने के लिए फर्जी अकाउंट्स का इस्तेमाल किया।
फेसबुक की पूर्व डेटा साइंटिस्ट
हालांकि, सिर्फ बीजेपी सांसद से सीधे जुड़े अकाउंट के नेटवर्क को फेसबुक ने नहीं हटाया। सोफी झांग ने कहा कि हमने 5 नेटवर्क में से 4 को हटा दिया। 5वें नेटवर्क को भी हम हटाने वाले थे लेकिन आखिरी मौके पर हमने महसूस किया कि यह बीजेपी के एक बड़े नेता से जुड़ा था। वे लोकसभा सांसद भी हैं। इसके बाद पता ही नहीं चला कि क्या किया जा रहा है। इस पर मुझे किसी से जवाब नहीं मिला कि इस फर्जी अकाउंट के साथ क्या करने वाले हैं।
भारत में जब सवालों में घिरी कंपनी, अंखी दास पर पक्षपात का आरोप
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल की अगस्त 2020 की एक रिपोर्ट के बाद फेसबुक को भारत में जांच का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी की पब्लिक पॉलिसी हेड अंखी दास ने बीजेपी से जुड़े लोगों और पेजों पर कंपनी के हेट-स्पीच नियम लागू करने का विरोध किया था। इसके बाद अंखी दास को कंपनी से इस्तीफा देना पड़ा था। आरोप था कि फेसबुक पर आपत्तिजनक कंटेंट को रोकने में वे पक्षपात कर रही थीं। अंखी भारत में कंपनी के लिए काम करने वाली शुरुआती कर्मचारियों में से एक थीं। फेसबुक के कर्मचारियों ने टी. राजा सिंह की भड़काऊ पोस्ट का मामला उठाया था। राजा सिंह तेलंगाना में बीजेपी विधायक हैं और वह अक्सर भड़काऊ बयान देने के लिए सुर्खियों में रहते हैं।
फेसबुक की पूर्व पब्लिक पॉलिसी की हेड अंखी दास
एक और डेटा साइंटिस्ट अमेरिकी सीनेट में दे चुकी हैं गवाही
फेसबुक की पूर्व डेटा साइंटिस्ट फ्रांसिस हेगन भी दो हफ्ते पहले अमेरिकी सीनेट में गवाही दे चुकी हैं। उनका आरोप था कि फेसबुक बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, लोकतंत्र और समाज के लिए बड़ा खतरा है। यह भेदभाव पैदा करता है। जनप्रतिनिधियों को इस पर काबू करने का उपाय करना चाहिए।
फेसबुक की पूर्व डेटा साइंटिस्ट फ्रांसिस हेगन
अपनी गवाही में फ्रांसिस ने कहा कि फेसबुक बच्चों को जानबूझकर अपने ऐप की लत लगाने की कोशिशों में रहती है। कंपनी जानती है कि उसके इंस्टाग्राम जैसे ऐप सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन इसके बावजूद कंपनी सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाती है।
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