गुजरात दंगों का केस लड़ चुके पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी पर शाहरुख का दांव, एक सुनवाई की 10 लाख है
आर्यन केस में तीसरे वकील की एंट्री
शाहरुख खान के बेटे आर्यन को जेल से बाहर लाने के लिए अब तीसरे दिग्गज वकील की एंट्री हुई है। अब तक दो दिग्गज वकील सतीश मानशिंदे और अमित देसाई जमानत दिलवाने में असफल रहे हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में अब मंगलवार को पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी आर्यन खान की जमानत के लिए पैरवी करेंगे। जस्टिस नितिन साम्ब्रे की अदालत में सतीश मानशिंदे और अमित देसाई भी रोहतगी के साथ मौजूद होंगे।
शाहरुख ने ऐन मौके पर मुकुल रोहतगी पर भरोसा क्यों किया है? कौन है मुकुल रोहतगी? आपके मन में उठ रहे सभी सवालों का जवाब यहां है…
जूनियर वकील बन शुरू किया करियर
मुकुल रोहतगी ने अपनी लॉ की पढ़ाई मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से की है। कॉलेज से निकलने के बाद रोहतगी ने उस समय के मशहूर लॉयर योगेश कुमार सभरवाल का जूनियर बनकर अपनी प्रैक्टिस शुरू की। बता दें कि योगेश कुमार सभरवाल 2005-2007 तक देश के 36वें चीफ जस्टिस रहे थे। रोहतगी ने जस्टिस योगेश कुमार सभरवाल के साथ हाईकोर्ट में अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी। 1993 में दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें सीनियर काउंसिल का दर्जा दिया और उसके बाद 1999 में रोहतगी एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बने।
गुजरात दंगा केस में सरकार का बचाव
मुकुल रोहतगी ने 2002 में हुए गुजरात दंगों में राज्य सरकार का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया था। इसके अलावा फर्जी एनकाउंटर के आरोपों को लेकर भी उन्होंने राज्य सरकार की अदालत में पैरवी की थी। इसके अलावा वह दंगों में जली बेस्ट बेकरी, जाहिरा शेख मामला, योगेश गौड़ा मर्डर केस भी सुप्रीम कोर्ट में लड़ चुके हैं।
देश के अटॉर्नी जनरल भी थे
मुकुल रोहतगी के पिता अवध बिहारी रोहतगी दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। उनको 19 जून 2014 को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश का अटॉर्नी जनरल बनाया था। मुकुल 18 जून 2017 तक देश के 14वें अटॉर्नी जनरल के पद पर रहे। रोहतगी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ और देश के दिग्गज वकील हैं।
एक सुनवाई की फीस लगभग 10 लाख रुपए
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुकुल रोहतगी एक सुनवाई के लिए लगभग 10 लाख रुपए की फीस चार्ज करते हैं। हालांकि 2018 में एक RTI में दिए जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने बताया था कि उन्होंने सीनियर काउंसिल मुकुल रोहतगी को राज्य सरकार की तरफ से जज बीएच लोया केस के लिए फीस के रूप में 1.21 करोड़ रुपए दिए गए थे। रोहतगी ने तब महाराष्ट्र राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी।
NCB ‘शुतुरमुर्ग’ की तरह है
लॉयर मुकुल रोहतगी ने आर्यन खान को सपोर्ट किया था। सेशंस कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने से पहले मुकुल ने कहा था, आर्यन खान को कैद में रखने का कोई वाजिब कारण नहीं है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो एक ‘शुतुरमुर्ग’ की तरह है जिसने अपना सिर रेत में छुपाया हुआ है। मुकुल के अनुसार आर्यन को एक सेलिब्रिटी के बेटे होने की कीमत चुकानी पड़ रही है।
मुकुल ने आगे कहा, जमानत एक मानक है, जेल एक अपवाद है। यह मुद्दा कई साल पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुलझाया जा चुका था, क्योंकि संविधान का सबसे मजबूत फंडामेंटल राइट ‘जीने का अधिकार’ और ‘स्वतंत्रता का अधिकार’ है और यह न केवल भारतवासियों के लिए हैं, बल्कि भारत में रहने वाले विदेशियों के लिए भी है। अगर वो आर्यन को जमानत देना चाहते हैं, तो यह तुरंत दिया जा सकता है। यह पब्लिक हॉलिडेज पर भी संभव है।
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