लिस्ट में नाम आने के बाद भी 2 साल से आधार कार्ड के लिए भटक रहे हैं लोग
गुवाहाटी. असम में दो साल पहले यानी 31 अगस्त को भारत सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (National Register of Citizens) की फ़ाइनल लिस्ट निकाली थी. इससे ये तय हो गया था कि असम में रहने वाले कौन भारत का नागरिक है और कौन नहीं. करीब 8 लाख लोगों का नाम NRC की लिस्ट में आया था. लेकिन दो साल बाद भी ये लोग आधार कार्ड के लिए दर-दर भटक रहे हैं. लिहाज़ा आधार के जरिए मिलने वाली सुविधाएं इन्हें नहीं मिल रही हैं.
IIT बॉम्बे से पीएडी की पढ़ाई करने वाले भानु उपाध्याय पिछले 18 महीने से आधारा कार्ड बनाने की कोशिश में लगे है. लेकिन अभी तक उन्हें कामयाबी नहीं मिली है. वो लगातार हेल्प लाइन पर कॉल कर रहे है. साथ ही आधार सेंटर जा रहे हैं. लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हो रही है. 33 साल के भानु मूल रुप से नेपाली हैं और असम रहते हैं. भानु ने कहा, ‘मैं बेहद परेशान हूं. मैं अब केंद्रीय संस्थान में नौकरी के लिए अप्लाई करुंगा. लेकिन बिना आधार कार्ड के मेरे एप्लिकेशन को रद्द कर दिया जाएगा.’
8 लाख लोग परेशान
उपाध्याय अकेले नहीं हैं. लगभग आठ लाख लोग जिन्होंने अपना बायोमेट्रिक्स दिया और 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में जगह बनाई, वे आधार कार्ड के लिए संघर्ष कर रहे हैं. कुल मिलाकर 27 लाख लोगों ने अपना बायोमेट्रिक्स रजिस्टर्ड कराया था, लेकिन इनमें से 19 लाख लोगों का नाम एनआरसी में नहीं था.
क्या कहना है राज्य सरकार का
राज्य सरकार के अधिकारियों का मानना है कि हर किसी के साथ यही दिक्कत आ रही है. उनका कहना है कि लालफीता शाही और एनआरसी प्रक्रिया पर स्पष्टता की कमी के चलते ऐसा हो रहा है. राज्य सरकार ने पूरे मामले को लेकर रजिस्टार जनरल ऑफ इंडिया को चिट्ठी लिखकर इस मुद्दे को उजागर किया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
कहां फंसा है मामला?
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2018 में कहा था कि जो लोग NRC की लिस्ट में नहीं आ पाए हैं उन्हें दोबोरा अपना नाम डालने के लिए फिर से बायमैट्रिक देनी होगी. 31 अगस्त 2019 से पहले ये काम भी पूरा कर लिया गया था. नियम के मुताबिक इन सभी लोगों को आधार कार्ड दिया जाना था. राज्य सरकार ने UIDAI को 27,43,396 लोगों की बायोमैट्रिक डिटेल भी दे दी. लेकिन इसके बावजूद अभी तक ये मामला फंसा हुआ है.