“ईशा देओल ने कहा: पीरियड्स के दौरान मंदिर में पूजा की अनुमति नहीं मिलीऔर मैं इसका पालन करती हूं'”
यह मान्यता भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में गहरे रूटेड है, जहां कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिरों में प्रवेश या पूजा करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
बॉलीवुड अभिनेत्री ईशा देओल ने हाल ही में एक दिलचस्प बयान दिया है जिसमें उन्होंने पीरियड्स के दौरान मंदिर में पूजा करने की अनुमति न मिलने की बात की है। ईशा ने बताया कि उनके परिवार में पारंपरिक मान्यताओं का पालन किया जाता है, जिसके तहत महिलाएं पीरियड्स के दौरान धार्मिक गतिविधियों में शामिल नहीं होती हैं।
ईशा देओल ने इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा, “मुझे पीरियड्स के दौरान मंदिर में पूजा करने की अनुमति नहीं मिलती। यह एक पारंपरिक तरीका है और मैं इसे मानती हूं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नियम उनके परिवार और उनकी धार्मिक आस्थाओं के अनुसार है। यह मान्यता भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में गहरे रूटेड है, जहां कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान मंदिरों में प्रवेश या पूजा करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
ईशा का यह बयान भारतीय समाज में महिलाओं की धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को लेकर चल रही चर्चाओं की ओर इशारा करता है। जहां एक ओर पारंपरिक मान्यताएँ महिलाओं के धार्मिक अधिकारों पर असर डालती हैं, वहीं दूसरी ओर आधुनिक दृष्टिकोण इन मान्यताओं को चुनौती भी देता है। ईशा का व्यक्तिगत अनुभव इस बात की पुष्टि करता है कि धार्मिक प्रथाएँ और मान्यताएँ आज भी लोगों के जीवन का हिस्सा हैं और वे इनका पालन करते हैं।
पीरियड्स के दौरान मंदिर में पूजा की अनुमति नहीं मिली, ‘ये एक पारंपरिक तरीका है और मैं इसका पालन करती हूं’
उनका यह बयान भारतीय समाज में प्राचीन परंपराओं और आधुनिक दृष्टिकोण के बीच के टकराव को उजागर करता है, और यह दर्शाता है कि धार्मिक आस्थाएँ आज भी समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।