फीस न मिलने से करोड़ों के नुकसान की आशंका:
ब्रिटिश विश्वविद्यालय चीन के विद्यार्थियों को विशेष विमान से बुलवा रहे हैं, 50 से ज्यादा विश्वविद्यालयों ने छात्रों को लाने के लिए लगाए हैं विशेष विमान
चीन के स्टूडेंट्स को लाने के लिए विशेष इंतजाम करने वालों में रसेल समूह सबसे ऊपर है।
ब्रिटेन के कई विश्वविद्यालयों को डर है कि कोरोना संक्रमण के कारण लगे यात्रा प्रतिबंध निकट भविष्य में हटने वाले नहीं हैं। ऐसे में दूसरे देशों, खासकर चीन से स्टूडेंट ब्रिटेन नहीं लौट सकेंगे। इससे संस्थानों को करोड़ों का नुकसान होगा। इसे देखते हुए संस्थानों ने किराए पर विशेष विमान लगाकर चीन से छात्र-छात्राओं को वापस लाना शुरू किया है।
जानकारों के मुताबिक अब तक करीब 50 उच्च शिक्षण संस्थानों ने छात्रों को लाने के लिए विशेष विमान लगाए हैं। चीन के स्टूडेंट्स को लाने के लिए विशेष इंतजाम करने वालों में रसेल समूह सबसे ऊपर है। यह समूह लंदन, ब्रिस्टल के इंपीरियल कॉलेज सहित करीब 24 बड़े शिक्षण संस्थानों का संचालन करता है। समूह अब तक चार विमानों से चीन के 1,200 स्टूडेंट्स को ला चुका है।
स्टूडेंट्स को लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे से परिसर तक ले जाने और वहां 10 दिन आइसोलेशन के दौरान उनके रहने-खाने का खर्च भी संस्थान ही उठा रहे हैं। ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों की अंतरराष्ट्रीय निदेशक विवियन स्टर्न बताती हैं, ‘जिन संस्थानों में विदेशी, खासकर चीन के विद्यार्थी ज्यादा हैं, उनके लिए दिक्कत ज्यादा है। चीन से छात्रों को हांगकांग के रास्ते विशेष विमान से लाने का इंतजाम किया जा रहा है।’
भारतीय स्टूडेंट्स के लिए उम्मीद
इस पूरी कवायद से भारतीयों की भी उम्मीद बढ़ी है। चीन के बाद यहां दूसरी सर्वाधिक संख्या भारत के स्टूडेंट्स की है। हायर एजुकेशन स्टेस्टिक्स एजेंसी के मुताबिक 2019-20 में करीब 55,465 भारतीय विद्यार्थी थे। अगस्त 2021 में संख्या 19 फीसदी बढ़ गई है।
लेकिन ब्रिटेन में विरोध के सुर भी: विदेशी स्टूडेंट्स को अहमियत देने से ब्रिटेन में विरोध के सुर सुनाई दे रहे हैं। बकिंघम यूनिवर्सिटी के प्रो. एलन स्मिथर्स कहते हैं, ‘क्या हमारे शिक्षण संस्थान कमाई बढ़ाने पर इतने केंद्रित हो गए हैं कि ब्रिटिश स्टूडेंट्स के हितों का जोखिम उठाने को तैयार हैं।’
स्मिथर्स की बात को इन आंकड़ों से बल मिलता है कि ब्रिटेन के स्टूडेंट्स बड़ी संख्या में स्पेन, फ्रांस, जर्मनी जा रहे हैं। इस साल करीब 8,000 ब्रिटिश स्टूडेंट्स ने इन देशों में दाखिला लिया है। कोरोना और यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने से स्टूडेंट वीसा पाने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
ब्रिटेन में चीन के 2.20 लाख विद्यार्थी…13 हजार करोड़ रुपए फीस भरते हैं
आंकड़ों के मुताबिक ब्रिटेन में करीब 2.20 लाख विद्यार्थी चीन के हैं। रसेल समूह के शिक्षण संस्थानों में ही करीब आधे स्टूडेंट चीन के हैं। इनसे समूह को हर साल 1.3 अरब पाउंड (करीब 13 हजार करोड़ रुपए) की ट्यूशन फीस मिलती है। वहीं, 2019 में लिवरपूल यूनिवर्सिटी में आधे और ग्लासगो में एक तिहाई बच्चे चीन के थे। यही वजह है कि तमाम संस्थान इनकी आवभगत में लगे हैं।