कोरोना काल में जूनियर डॉक्टर गए हड़ताल पर, इमरजेंसी सेवाएं ठप
भोपाल. कोरोना काल के बीच मध्य प्रदेश में इमरजेंसी सेवाएं बंद हो गई हैं. 6 सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टरों ने सोमवार से हड़ताल शुरू कर दी है. उन्होंने सरकार को रविवार तक का अल्टीमेटम दिया था. उन्होंने सरकार से अपनी मांगों पर लिखित में आदेश मांगा था.
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि 23 दिन पहले जब उन्होंने हड़ताल शुरू की थी, तब चिकित्सा शिक्षा मंत्री और स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने उनसे मुलाकात के बाद आश्वासन दिया था कि उनकी 6 सूत्रीय मांगों को सरकार मान लेगी. लेकिन, इतना लंबा समय बीतने के बावजूद भी सरकार ने उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया. उनका कहना है कि जूनियर डॉक्टर वायरस के बीच लगातार काम कर रहे हैं. कई डॉक्टरों की मौत भी हो गई. इसलिए सरकार को हमारी सुननी चाहिए.
कोविड वार्ड में नहीं करेंगे इलाज
जूनियर डॉक्टरों ने सुबह 8 बजे इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दीं. इसके बाद मंगलवार से कोविड वार्ड में भी जूनियर डॉक्टर काम नहीं करेंगे. प्रदेश के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों में करीब 2500 जूनियर डॉक्टर हैं. इनकी हड़ताल से सेवाएं प्रभावित होनी तय है. 6 मई को भी जूडा ने प्रदेश भर में आंदोलन किया था. इसके बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने उनकी कुछ मांगें मान ली थीं, जबकि कुछ मांगों के लिए समिति बनाकर सुझाव लेने की बात कही थी. जूडा की सबसे अहम मांग मानदेय में बढ़ोतरी है.
ये हैं जूडा की मांगें
-मानदेय में बढ़ोतरी कर इसे 55 हजार, 57 हजार, 59 हजार से बढ़ाकर 68200, 70680, और 73160 किया जाए.
-मानदेय में हर साल 6 फीसद की बढ़ोतरी की जाए.
कोविड ड्यूटी को एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा मानकर बांड से मुक्त किया जाए.
-कोविड में काम करने वाले डॉक्टरों व उनके स्वजन के लिए अस्पताल में इलाज की अलग व्यवस्था हो.
-कोविड ड्यूटी में काम करने वाले डॉक्टरों को सरकारी नियुक्ति में 10 फीसद अतिरिक्त अंक दिए जाएं.