अंधेरे में डूब सकता है उत्तराखंड, बाढ़ ने ठप्प कर दी पांच बिजली परियोजनाएं
उत्तराखंड में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से दिक्कते बढ़ती ही जा रहीं है। जहाँ एक तरफ बाढ़ का कहर लोगों का जीना मुश्किल कर रहा है, वहीं एक के बाद एक विद्युत परियोजनाओं को बंद करने की नौबत आ गई है। रविवार को मोरी तहसील में बादल फटने के बाद टौंस और यमुना नदी में उफ़ान आने की वजह से राज्य की 5 जल विद्युत परियोजनाओं को बंद करना पड़ा है। इसकी वजह से प्रदेश को रोज़ 12 मिलियन यूनिट का नुक़सान उठाना पड़ रहा है।
मोरी में बादल फटने की वजह से टौंस और यमुना नदी का जलस्तर एकदम से बढ़ गया। जलस्तर बढ़ने के साथ ही नदियों के पानी में सिल्ट की मात्रा बढ़ गई है। इसके चलते 240 मेगावाट की छिबरो, 120 मेगावाट की खोदरी, 51 मेगावाट की ढालीपुर, 33.75 मेगावाट के ढकरानी और 30 मेगावाट की कुल्हाल जल विद्युत परियोजनाओं का उत्पादन ठप हो गया है। इसकी वजह से नदियों पर स्थित 5 बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को बंद करना पड़ा जिससे रोज़ 120 लाख यूनिट का नुक़सान राज्य को हो रहा है। यूजेवीएनएल के एमडी एसएन वर्मा कहते हैं कि जब भी इस तरह की बाढ़ जैसी स्थिति होती है तो उसमें मलबा बहुत बढ़ जाता है और मशीनों को चलाना सुरक्षित नहीं रहता। वर्मा बताते हैं कि 3000 पीपीएम तक सिल्ट के साथ मशीनें चल सकती हैं और अभी ये 11000 पीपीएम तक बढ़ गया है। अब फिर से उत्पादन करने के सिल्ट कम होने का इंतज़ार करना होगा।
10 दिन तक रहेगी परेशानी
मोरी तहसील में 33 किलोवाट की 26 किलोमीटर और 11,000 किलोवाट की 18 किलोमीटर की लाइनें ध्वस्त हो गई हैं। इसके अलावा 8 बड़े ट्रांसफार्मर्स को भी नुक़सान पहंचा है। यूपीसीएल के एमडी बीसीके मिश्रा कहते हैं कि इलाक़े में बिजली आपूर्ति की कोशिशें की जा रही हैं। त्यूणी और आराकोट बेस स्टेशन में बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई है और आपदा से प्रभावित इलाको तक भी बिजली पहुंचाने की हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। हालाँकि मोरी तहसील के 52 गाँवों में अगले 10 दिन तक बिजली पहुँचने की उम्मीद नहीं है। इस आपदा से वहां बिजली विभाग यूपीसीएल को अभी तक तकरीबन 2 करोड़ का नुकसान हो चुका है।