चीन में पावर क्राइसिस का भारत पर असर:डिलीवरी के बजाय नोटिस भेज रहे चीनी सप्लायर
, दे रहे सोलर इक्विपमेंट की डिलीवरी टलने की सूचना
चीन में चल रही बिजली की किल्लत का असर भारत पर भी दिखने लगा है। वहां की सोलर इक्विपमेंट कंपनियों से सप्लाई में देरी होने के नोटिस आने शुरू हो गए हैं। नोटिस में कहा जा रहा है कि वे आयातकों को तय समय पर इक्विपमेंट की सप्लाई करने में असमर्थ हैं।
खास क्लॉज के तहत सप्लाई में देरी होने के नोटिस
सप्लाई में देरी होने के नोटिस, बायर और सेलर के बीच हुए एग्रीमेंट के एक खास क्लॉज के तहत भेजे जा रहे हैं। नोटिस के मुताबिक, सोलर इक्विपमेंट की सप्लाई एक अप्रत्याशित घटना के चलते रुक सकती है। इस मामले में बिजली की अभूतपूर्व कमी होने को आधार बनाया जा रहा है।
31 मार्च 2022 तक 5 गीगावॉट के इक्विपमेंट मिलने वाले हैं
इंडियन डेवलपर्स को 31 मार्च 2022 तक 5 गीगावॉट के इक्विपमेंट मिलने वाले हैं, ऐसे में सप्लाई में रुकावट वाली घटना अहम हो जाती है। सरकार ने 2022 तक 175 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत 100 गीगावॉट की सोलर पावर कैपेसिटी लगाई जानी है।
3 GW की सोलर सेल और 15 GW की सोलर मॉड्यूल कैपेसिटी
देश में सोलर पावर इक्विपमेंट बनाने के लिए जो फैक्ट्रियां लगाई गई हैं उनमें हर साल सिर्फ तीन गीगावॉट कैपेसिटी के सोलर सेल और 15 गीगावॉट के सोलर मॉड्यूल बनाए जा सकते हैं, जबकि यहां दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी प्रोग्राम चल रहा है।
सोलर इक्विपमेंट के आयातकों के सामने चौतरफा समस्याएं
एक इंडियन कंपनी के सीईओ ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, ‘समुद्र के रास्ते माल ढुलाई में रुकावट आने से भाड़ा चार गुना हो गया है। इसके अलावा कंटेनर का अभाव हो गया है और अब नोटिस आ रहे हैं। इन सबके चलते चौतरफा समस्याएं पैदा हुई हैं।’
सोलर सेल, मॉड्यूल पर अप्रैल से बेसिक कस्टम्स ड्यूटी
सरकार आर्थिक रणनीति के तहत 1 अप्रैल 2022 से इंपोर्टेड सोलर सेल, मॉड्यूल और इनवर्टनर पर बेसिक कस्टम्स ड्यूटी लगा रही है। न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री ने सरकारी सपोर्ट वाली स्कीमों के लिए सोलर पीवी मॉडल और मॉड्यूल उत्पादकों की अप्रूव्ड लिस्ट वाली व्यवस्था की है। उनमें वे प्रोजेक्ट भी शामिल हैं, जिनमें डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां ग्राहकों के लिए बिजली पैदा करती हैं।
सोलर इक्विपमेंट मार्केट में चीन की 78% हिस्सेदारी
सोलर इक्विपमेंट मार्केट में चीन की 78% हिस्सेदारी है और बाकी वियतनाम, सिंगापुर, थाईलैंड और हांगकांग के पास है। सोलर सेल और मॉड्यूल का इंपोर्ट पिछले वित्त वर्ष में घटकर 57.165 करोड़ डॉलर रह गया था जो 2018-19 में 2.16 अरब डॉलर और 2019-20 में 1.68 अरब डॉलर था।
पिछले वित्त वर्ष में 86.5% सोलर इक्विपमेंट चीन से आए
2020-21 में जो सोलर सेल और मॉड्यूल इंपोर्ट किए गए थे उनमें से 49.487 करोड़ डॉलर (3,718 करोड़ रुपए यानी 86.5%) के इक्विपमेंट चीन और सिर्फ 1.876 करोड़ डॉलर (140 करोड़ रुपए) के इक्विपमेंट थाईलैंड से आए थे।
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