जम्मू-कश्मीर में मार्च 2022 से पहले हो सकते हैं चुनाव, परिसीमन के बाद बढ़ सकती हैं 7 सीटें
श्रीनगर. जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) द्वारा आहूत सर्वदलीय बैठक के बाद चुनाव (Election In Jammu Kashmir) की तैयारियां शुरू हो गई हैं. माना जा रहा है कि सरकार, केंद्र शासित प्रदेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए चुनाव करा सकता है. हालांकि इसके लिए परिसीमन जल्द पूरा करना होगा. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार इस साल दिसंबर से अगले साल मार्च 2022 के बीच चुनाव करा सकती है. बता दें इसी समयावधि में यूपी, पंजाब, उत्तराखंड सरीखे राज्यों में भी विधानसभा के चुनाव होंगे. इसी क्रम में सरकार चाहती है कि जल्द से जल्द परिसीमन का काम पूरा कर लिया जाए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गुरुवार को कहा है कि जम्मू-कश्मीर में जारी परिसीमन प्रक्रिया तेज गति से पूरी होनी है ताकि वहां विधानसभा चुनाव कराए जा सकें और एक निर्वाचित सरकार का गठन हो सके जो प्रदेश के विकास को मजबूती दे. सूत्रों के अनुसार जम्मू-कश्मीर के 14 राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ साढ़े तीन घंटे की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने इसमें शामिल नेताओं को कश्मीर में हर मौत की घटना पर अपना व्यक्तिगत दुख व्यक्त किया, चाहे वह निर्दोष नागरिक की हो, किसी कश्मीरी लड़के की जिसने बंदूक उठाई थी या सुरक्षा बलों के किसी सदस्य की.
चुनाव पर मोदी ने क्या कहा?
मोदी ने बैठक के बाद कई ट्वीट करके कहा कि विचार-विमर्श एक विकसित और प्रगतिशील जम्मू-कश्मीर की दिशा में चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम था, जहां सर्वांगीण विकास को आगे बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना है. परिसीमन तेज गति से होना है ताकि वहां चुनाव हो सकें और जम्मू-कश्मीर को एक निर्वाचित सरकार मिले जो जम्मू-कश्मीर के विकास को मजबूती दे.’
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई की अगुवाई वाले पैनल को केंद्रशासित प्रदेश में परिसीमन की जिम्मेदारी मिली है. केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और इसके पुनर्गठन की घोषणा की थी, जिसके बाद यह केंद्रशासित प्रदेश अक्टूबर, 2019 में अस्तित्व में आया. परिसीमन की कवायद के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी. विधानसभा की चौबीस सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पड़ने के कारण खाली रहती हैं.
साल 2019 में अनुच्छेद 370 के कई प्रावधान और आर्टिकल 35ए रद्द करने के बाद राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री- फारुक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत कई राजनेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. संसद में जब जम्मू और कश्मीर के पुनर्गठन का विधेयक पेश हुआ तो गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया था कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा समय आने पर मिल जाएगा.दूसरी ओर बीते साल दिसंबर में डीडीसी के चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. गुपकर गठबंधन को 280 में से 110 सीटें मिली थीं. दलवार बात करें तो इस गठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें फारुक अब्दुल्ला की अगुवाई वाले नेशनल कांफ्रेंस को 67 सीटें मिली थीं. दूसरी ओर बीजेपी के हिस्से में 75 सीटें आई थीं.जम्मू और कश्मीर में साल 2018 से ही राष्ट्रपति शासन लागू है.