कोरोना के कारण टला चुनाव, जानें क्या होगी नई व्यवस्था
पटना. कोरोना वायरस से फैले संक्रमण के कारण पैदा हुए संकट की वजह से बिहार में पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) समय से नहीं कराया जाएगा. बिहार की नीतीश सरकार ने कैबिनेट (Nitish Cabinet) की बैठक में इसके संदर्भ में अहम निर्णय लिए हैं. इसके तहत पंचायतों में परामर्शी समिति की नियुक्ति होगी. यदि किसी कारण से ग्राम पंचायत का आम निर्वाचन कराना संभव नहीं हुआ तो ग्राम पंचायत भंग हो जाएगी. ग्राम पंचायत के विकास कार्य परामर्श समिति द्वारा ही की जाएगी.
बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि संविधान में यह नियम है कि 5 साल से अधिक पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता है, ऐसे में बिहार कैबिनेट ने परामर्शी समिति बनाने का निर्णय लिया है. अब इस प्रस्ताव को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. मंत्री ने कहा कि समिति में कौन-कौन लोग होंगे इस पर बाद में निर्णय होगा. उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि पंचायतों के लिए प्रशासक नियुक्त नहीं किया जाएगा.
कौन-कौन होगा समिति में
कैबिनेट के फैसले के बाद यह माना जा रहा है अब पंचायतों की जिम्मेवारी प्रशासक के तौर पर किसी सरकार के अधिकारी को नहीं दी जाएगी. हालांकि, सरकार ने अभी यह तय नहीं किया है कि परामर्श समिति में कौन लोग होंगे, लेकिन यह माना जा रहा है कि इस समिति में पूर्व के पंचायत प्रतिनिधि को शामिल किया जा सकता है. सरकार इस पर फैसला राज्यपाल से सहमति होने के बाद करेगी. इस मामले में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी का कहना है सरकार ने अभी सिर्फ परामर्श समिति गठन का निर्णय लिया है, लेकिन देश में लोकतंत्र है और लोकतंत्र की व्यवस्था खड़ी रहेगी. पंचायतों की जिम्मेवारी अधिकारियों को नहीं दी जाएगी.15 जून को खत्म हो रहा है कार्यकाल
बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 15 जून से खत्म हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की थी. बीजेपी के कई विधान पार्षद से लेकर सांसद रामकृपाल यादव तक ने इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा था. सरकार के सहयोगी दल वीआईपी और हम ने भी नीतीश कुमार को पत्र लिखा था. दोनों पार्टी ने सीएम से मांग करते हुए कहा कि राज्य में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाया जाए और उनके पावर को न सीज किया जाए.
तेजस्वी ने भी लिखा था पत्र
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर कहा था कि कोरोना के दौरान गांव में पंचायत प्रतिनिधियों का रहना आवश्यक है. चूंकि ऐसे समय में चुनाव होना संभव नहीं है, जिस वजह से सरकार को चाहिए कि राज्य में पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल आगे बढ़ा दिया जाए. अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीच का रास्ता निकाला है. सीएम नीतीश ने न तो पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया और न ही प्रशासक की नियुक्ति की बल्कि बीच का रास्ता अख्तियार करते हुए परामर्श समिति बनाने की घोषणा कर दी है.