Dussehra 2024: चार शुभ योग में मनाया जाएगा पर्व
Dussehra, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व रावण पर भगवान राम की विजय का प्रतीक है और इसके साथ ही मां दुर्गा के असुरों पर विजय को भी मनाने का अवसर है।
Dussehra 2024: चार शुभ योग में मनाया जाएगा पर्व
Dussehra, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व रावण पर भगवान राम की विजय का प्रतीक है और इसके साथ ही मां दुर्गा के असुरों पर विजय को भी मनाने का अवसर है। इस वर्ष, दशहरा 2024 में चार शुभ योगों में मनाया जाएगा, जो इसे विशेष बनाते हैं।
Dussehra 2024 की तिथि
Dussehra 2024 का पर्व 13 अक्टूबर, 2024 (रविवार) को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से मां दुर्गा की पूजा और रामलीला का आयोजन होता है। लोग इस दिन न केवल भगवान राम के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं, बल्कि बुराई पर अच्छाई की विजय का भी जश्न मनाते हैं।
शुभ योग और मुहूर्त
Dussehra 2024 में चार शुभ योग का निर्माण होगा, जो निम्नलिखित हैं:
- अभिजीत मुहूर्त:
- समय: 11:42 AM से 12:27 PM
- इस समय भगवान राम की पूजा और विजय पर ध्यान केंद्रित करना शुभ माना जाता है।
- विजय मुहूर्त:
- समय: 02:20 PM से 03:06 PM
- यह समय विशेष रूप से बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए उपयुक्त है। इस समय रावण दहन का आयोजन भी किया जाएगा।
- गोधूलि वेला:
- समय: 06:00 PM से 06:30 PM
- यह समय शाम की पूजा और आरती के लिए शुभ है। इस समय मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है।
- रात्रि पूजा:
- समय: 08:00 PM से 09:00 PM
- इस समय रात्रि में देवी-देवताओं की आराधना करना भी विशेष फलदायक माना जाता है।
पूजा विधि
Dussehra पर पूजा करने की विधि कुछ इस प्रकार है:
- घर की सफाई:
- पहले घर को स्वच्छ करना आवश्यक है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करना:
- पूजा स्थान पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- दीप जलाना:
- दीपक जलाकर वातावरण को रोशन करें और उसकी चारों ओर आरती करें।
- नैवेद्य अर्पित करना:
- मिठाई और फलों का भोग लगाकर मां दुर्गा को अर्पित करें।
- आरती और भजन:
- पूजा के बाद आरती करें और भजनों का गायन करें।
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Dussehra 2024 के चार शुभ योग इस पर्व को विशेष बनाते हैं। इस दिन भगवान राम की पूजा और रावण दहन का आयोजन श्रद्धा से करें। यह समय न केवल आनंद मनाने का है, बल्कि बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी है। इस पर्व को मनाने के लिए शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए अपनी पूजा को सम्पन्न करें।