जम्मू कश्मीर में परिसीमन के दौरान एक दर्जन सीटों पर रहेगी खास नज़र, ये है वजह
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम लोगों की नजरें इन दिनों परिसीमन आयोग (J&K Delimitation) पर टिकी हैं. केन्द्र शासित प्रदेश में निर्वाचन क्षेत्रों को फिर से तैयार करने के लिए काम चल रहा है. कहा जा रहा है कि परिसीमन आयोग का जम्मू कश्मीर के 12 ज़िलों पर खास ध्यान है. ये वो ज़िले हैं जहां चुनाव क्षेत्रों की सीमा दो अलग-अलग सीटों में है. ऐसे में इन सीटों की सीमा को फिर से निर्धारित किया जाएगा. बता दें कि साल 2011 की जनगणना के आधार पर ही घाटी में परिसीमन का काम चल रहा है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक परिसीमन आयोग इस बात पर काम कर रहा है कि एक सीट एक प्रशासनिक इकाई के अंदर आ जाए. जिन 12 ज़िलों पर आयोग की खास नज़र हैं उनमें शामिल हैं- गांदरबल, बडगाम, कुलगाम, अनंतनाग, किश्तवाड़, डोडा, रामबन, रियासी, उधमपुर, कठुआ और सांबा जिलों की कुछ विधानसभा सीटें.
उदाहरण के तौर पर देखें तो गांदरबल विधानसभा क्षेत्र काफी हद तक गांदरबल जिले में आता है, लेकिन नौ मतदान केंद्र श्रीनगर जिले के क्षेत्रीय नियंत्रण में हैं. एचएस बग़ और देवसर सीटें आंशिक रूप से कुलगाम जिले और अनंतनाग में हैं. इसी तरह, इंदरवाल विधानसभा क्षेत्र डोडा और किश्तवाड़ जिलों में फैला हुआ है. ऐसा घाटी में नए ज़िलों के बनने से हुआ है. साल 1995 में यहां 12 ज़िले थे जो अब बढ़ कर 20 हो गए हैं. जबकि तहसिलों की संख्या भी 55 से बढ कर 217 हो गई है.
परिसीमन आयोग की बैठकें
प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं को बांटने के अलावा , परिसीमन आयोग भौगोलिक विशेषताओं, संचार सुविधाओं और सार्वजनिक पहुंच पर भी विचार करेगा. 7 नए सीटों को जोड़ कर सीटों की कुल संख्या 90 तक पहुंच जाएगी. आयोग ने छह और सात जुलाई को कश्मीर में और आठ और नौ जुलाई को जम्मू में अलग-अलग प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की थी. आयोग ने 290 से अधिक प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की, जिसमें 800 से अधिक लोग शामिल थे.
पारदर्शी काम होगा
पिछले दिनों परिसीमन आयोग की प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी और इसमें कोई भय और संदेह नहीं होना चाहिए. इस आयोग में शामिल मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा कि वे खुले दिमाग से यहां आए हैं. उन्होंने कहा, ‘अगर हमारे मन में कुछ होता और पहले ही फैसला कर लिया होता और आयोग लोगों को सुनने के लिए यहां नहीं आता. हम इस पर बहुत स्पष्ट हैं कि कुछ भी तय नहीं किया गया है.