मधुबनी पेंटिंग के लिए मशहूर दुलारी देवी को मिलेगा पद्मश्री
बिहार के मधुबन जिले के रांटी गांव की दुलारी देवी को पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किए जाने की घोषणा की गई है। एक भी क्लास नहीं पढ़ पाई दुलारी देवी कभी झाड़ू पोछा करके गुजारा करती थीं।
लेकिन मधुबनी पेंटिंग ने उन्हें दुनियाभर में शोहरत दिलाई। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी उनकी कला के प्रशंसक रहे। मल्लाह जाति की बेहद गरीब परिवार में जन्मीं दुलारी देवी का विवाह 12 साल की उम्र में हो गया था। घरों में काम करने के दौरान वे प्रख्यात मधुबनी पेंटिंग कलाकार कपूरी देवी के संपर्क में आने के साथ ही उनकी कला का सफर शुरू हो गया।
इस दौरान दुलारी अपने घर-आंगन को माटी से पोतकर, लकड़ी की कूची बना कल्पनाओं को आकृति देने लगीं। कर्पूरी देवी का साथ पाकर दुलारी ने मिथिला पेंटिंग के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना ली। दुलारी अब तक सात हजार मिथिला पेंटिंग विविध विषयों पर बना चुकी हैं। 2012-13 में दुलारी राज्य पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं।
गीता वुल्फ की पुस्तक ‘फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश’ और मार्टिन लि कॉज की फ्रेंच में लिखी पुस्तक मिथिला में दुलारी की जीवन गाथा व कलाकृतियां सुसज्जित है। सतरंगी नामक पुस्तक में भी इनकी पेंटिग ने जगह पाई है। इग्नू के लिए मैथिली में तैयार किए गए आधार पाठ्यक्रम के मुखपृष्ठ के लिए भी इनकी पेंटिग चुनी गई।
पटना में बिहार संग्रहालय के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुलारी देवी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया था। वहां कमला नदी की पूजा पर इनकी बनाई एक पेंटिग को जगह दी गई है।